Sunday, November 25, 2012

दरवाज़ा....

जिस दिन से तेरी यादों का,
दरवाज़ा बंद किया है मैने|
दिल ने चाहा तो बहुत था,
पर पलट के देखा न मैने|


तुम को जाने की जल्दी थी,
तब मेरी न कोई भी हस्ती थी|
अब वापस मुड़ कर क्या जाना,
जब रास्ता वो छोड़ दिया मैने|

दिन मेरे पिघलते रहतें है,
रातें भी जलती रहती है|
इन तपती-जलती चाहतों का,
एक शोर भी न सुना मैने|

गर कहीं जो तुम मिल जाओगे,
मुझको एक अजनबी सा पाओगे|
जो बीत गयी वो बात गयी,
उस पहचान को मोड़ दिया मैने|
...................................तरुणा||

3 comments:

Mahima Mittal said...
This comment has been removed by the author.
Mahima Mittal said...

waaah... bahut hi khoob

taruna misra said...

Shukriya...karam...meharbaani...Mahima....:)