जिस दिन से तेरी यादों का,
दरवाज़ा बंद किया है मैने|
दिल ने चाहा तो बहुत था,
पर पलट के देखा न मैने|
दरवाज़ा बंद किया है मैने|
दिल ने चाहा तो बहुत था,
पर पलट के देखा न मैने|
तुम को जाने की जल्दी थी,
तब मेरी न कोई भी हस्ती थी|
अब वापस मुड़ कर क्या जाना,
जब रास्ता वो छोड़ दिया मैने|
दिन मेरे पिघलते रहतें है,
रातें भी जलती रहती है|
इन तपती-जलती चाहतों का,
एक शोर भी न सुना मैने|
गर कहीं जो तुम मिल जाओगे,
मुझको एक अजनबी सा पाओगे|
जो बीत गयी वो बात गयी,
उस पहचान को मोड़ दिया मैने|
.......................... .........तरुणा||
तब मेरी न कोई भी हस्ती थी|
अब वापस मुड़ कर क्या जाना,
जब रास्ता वो छोड़ दिया मैने|
दिन मेरे पिघलते रहतें है,
रातें भी जलती रहती है|
इन तपती-जलती चाहतों का,
एक शोर भी न सुना मैने|
गर कहीं जो तुम मिल जाओगे,
मुझको एक अजनबी सा पाओगे|
जो बीत गयी वो बात गयी,
उस पहचान को मोड़ दिया मैने|
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3 comments:
waaah... bahut hi khoob
Shukriya...karam...meharbaani...Mahima....:)
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