तुम जो होते मेरी दुनिया में, बहुत पास मेरे,
सारे गुलशन के रंगीं फूलों से, सज़ा कर रखती|
कहीं लग न जायें नज़र कभी , इनकी तुमको,
इस जहाँ के हर हसीं नज़ारों से, छुपा कर रखती|
देख कर रश्क हो न जायें कही, किस्मत को,
अपनी इन कजरारी आँखों में ,बसा कर रखती|
डरती हूँ, तुम मेरे नसीब में हो, या कि नही,
तुम को इस दिल में,खुदा से भी, बचा कर रखती|
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