साँसे जिस्म का साथ...छोड़ने ही वाली थीं...
रूह मेरी मुझसे जुदा बस होने ही वाली थी..
नज़रों में था बड़ा अज़ीब सा.....सूनापन..
जैसे प्यासा हो कोई...मरुवन.....
युगों-युगों से......जन्मों-जन्मों से...
ऐसे मे ये कैसे हुआ ????
हर निष्प्राण चीज़ में स्पंदन हुआ..
साँसे फिर जिस्म मे समाने लगी..
रूह फिर अपना वजूद पाने लगी...
तपते मरुवन मे...बारिशें हुई झमाझम...
निगाहों का सूनापन..बन गया वृंदावन....
तेरी वो एक..आवाज़..एक आवाज़..ऐसे आई..
कि जैसे नीरव वन मे बज उठी हो शहनाई...
मन-वीणा के झंकृत हो गये तार.....
सारे आलम में बजने लगे सितार....
बस तेरी वो......आवाज़.............
जिसने मेरा नाम पुकारा है......
मेरे डूबते जीवन को उबारा है...
दौड़ने लगा रगों में...फिर लहू ऐसे..
बस मे अब तक थी मैं...तेरी आवाज़ के जैसे..
वो आवाज़........वो एक आवाज़......बस वो ही आवाज़...
...................................................................तरुणा||
15 comments:
Taruna ji Bahut sunder Poem hai.
AAsha hai bhavishya mein aur achhi poem aap se logon ko milengi.
All the best
तरुणा जी बहुत सुन्दर पंक्तियां ..............साँसे जिस्म का साथ...छोड़ने ही वाली थीं...
रूह मेरी मुझसे जुदा बस होने ही वाली थी..
नज़रों में था बड़ा अज़ीब सा.....सूनापन..
जैसे प्यासा हो कोई...मरुवन.....
युगों-युगों से......जन्मों-जन्मों से...
ऐसे मे ये कैसे हुआ ????
हर निष्प्राण चीज़ में स्पंदन हुआ..
साँसे फिर जिस्म मे समाने लगी..
रूह फिर अपना वजूद पाने लगी...
तपते मरुवन मे...बारिशें हुई झमाझम...
निगाहों का सूनापन..बन गया वृंदावन.
Awesome !
Sir....thank you very much....agar aap mujhse apna naam bhi share karenge to hame baat-cheet me jyaada suvidha hogi....vaise ye naam kya aapke blog...ya kiska hai...bahut sundar hai......mai aapki bahut aabhaari hoon ki aapko meri kavita itni achchi lagi....bhavishya me bhi aapki akaankshaon par khari utroon...aisa prayaas karti rahoongi..dhanyawaad...:)
Kalpanaji...sooooo many thanks that you liked it too...If you don't like an post then also feel free to share it with me....see you tomorrow as well.....Taruna Misra....:)
Sir...aapka comment bahut achcha laga....par agar naam bhi bataate to jyaada achcha lagta....vaise mai aapki khwaahish poori karne ki koshish jaroor karoongi....thankss..:)
Agar aap madam hai to mai kshma chaahti hoon....par pata hota ki madam hai ya sir ti jyaada suvidha hoti....:)
तरुण जी
लाजवाब
tarunaji aap ki kavita man ko chu jati hai sath hi penting/chitra bhi kavita me jaan dal dete hai khubsurat rachnaye rachne haitu bahut bahut hardik badhai SANJAY VERMA 'DRUSHTI' MANAWAR DISTT.DHAR M.P.
आदरणीय तरुणा जी,
आपके लेखन का हमेशा प्रशंसक रहा हूँ.. बहुत सुंदर और भावपूर्ण रचना के लिए बधाई
achi kavitaa hai ji ..............
Lemo Champ (Subh) ... Soooo many thanksss ... :)))
Sanjay Verma Saahab... Bahut hi Shukraguzaar hoon...ki aapko meri rachna pasand aayi .. :)))
Bahut Hi Shukraguzaar hoon.. Ki aapko Meri Kavita achchi lagi .. Bhavishya me bhi aapki pratikriyaaon ka intzaar rahega... Navya Ji .. :)))
Janumanu ji ...bahut aabhaar ... :))
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