Tuesday, June 30, 2015

सीख लिया मैंने... !!!


हर मुसीबत को ... टाल सकती हूँ ...
खुद को हर पल .. संभाल सकती हूँ ;
.
गरचे सूरज से .. राबता तो नहीं..
एक दीपक तो .. बाल सकती हूँ ;
.
गुल खिलाने की .. मुझको आदत है..
वरना कांटे ... निकाल सकती हूँ ;
.
तीर तुम जो .. चलाओगे मुझ पर..
उनको फूलो में .. ढाल सकती हूँ ;
.
प्यार को स्वार्थ तुम .. समझते हो..
तुमको दिल से .. निकाल सकती हूँ ;
.
बाद गिरने के ... ये तो पाया है...
गिर के खुद को .. संभाल सकती हूँ ;
.
प्यार में... प्यार को ही...  रहने दो...
वहमो-शक़ मैं भी .. पाल सकती हूँ ;
.
दिल दुखाना तो ... चाहती भी नहीं....
तंज़ में बात …  ढाल सकती हूँ ;
.
है हुनर मुझमे ... घर बनाने का....
वरना पत्थर .. उछाल सकती हूँ ;
.
रंजो-गम ... प्यार में बदलकर मैं...
शायरी कर .. कमाल सकती हूँ...!!
.

..................................................'तरुणा'...!!!
.

Har museebat ko ..taal sakti hun..
Khud ko har pal ..sambhal sakti hun ;
.
Garche sooraj se ... raabta to nahi ..
Ek deepak to .. baal sakti hun ;
.
Gul khilaane ki ... mujhko aadat hai..
Warna kaantein... nikaal sakti hun ;
.
Teer tum jo .. chalaaoge mujhpar..
Unko phoolon me... dhaal sakti hun ;
.
Pyaar ko swaarth .. tum samajhte ho..
Tumko dil se ..... nikaal sakti hun ;
.
Baad girne ke... ye to paya hai...
Girke khud ko ... sambhal sakti hun ;
.
Pyaar me ... pyaar ko hi .... rahne do..
Waham-o-shaq .. main bhi paal sakti hun ;
.
Dil dukhana to ... chaahti bhi nahi ..
Tanj me baat ... dhaal sakti hun ;
.
Hai hunar ... mujhme ... ghar banane ka ..
Warna .. patthar uchhaal ....  sakti hun ;
.
Ranj-o-gam .. pyaar me badalkar .. main..
Shaayri kar .... kamaal sakti hun... !!
.

.............................................................'Taruna'... !!!



Thursday, June 25, 2015

वो पुरानी ज़िंदगी... !!!

जो क़रीने से  ..... भरी थी ..... बेकरीने हो गई ..
उसने देखा ..  प्यार से तो .. ज़िंदगी वो खो गई ;
.
लाख़ तरतीबें करी पर ... सूरतें निकली ..  न कुछ ..
ज़िंदगी ... उसकी थी जैसे  ... और उसकी हो गई ;
.
हो गई बीमार ... उसके इश्क़ में ... मैं इस कदर ..
लोग कहते रह गए ... जां अब गई .. अब तो गई ;
.
लग रहा है .. दुश्मनी .. पिछले जनम से थी कोई...
थी मेरी सौतन पुरानी .... जो उसी की .... हो गई ;
.
हाल ऐसा होगा मेरा .... कब ख़बर थी .. ये मुझे..
जागती हूँ .... रात भर अब .. दिन-दहाड़े .. सो गई ;
.
अब तसल्ली भी .. किसी की .. काम तो .. आती नहीं ..
सिर्फ़ तस्वीरें छपेंगी ..... वो गई ..... लो वो गई ;
.
इश्क़ ने की है इनायत .. अनगिनत ऐ ... ज़िंदगी ..
रंज से जो थी .. लबालब ... ख्व़ाब सी वो हो गई...!!
.

...............................................................................'तरुणा'...!!!
.

Jo kareene se ... bhari thi .. be-kareene ho gayi ..
Usne dekha .. pyaar se to ... zindgi wo kho gayi ;
.
Laakh tarteebe karin par ... soortein nikali .. na kuchh...
Zindgi ..... uski thi jaise .... aur uski ho gayi ;
.
Ho gayi beemaar .. uske ishq me ... main is qadar ..
Log kahte rah gaye ... Jaan ab gayi .. ab to gayi ;
.
Lag raha hai ... dushmani .. pichhle janam ki thi koi ..
Thi meri sautan puraani .... jo usee ki ... ho gayi ;
.
Haal aisa hoga mera ... kab khabar thi ... ye mujhe ..
Jaagti hun... raat bhar  ab ... din-dahade .. so gayi ;
.
Ab tasalli bhi ..... kisi ki ... kaam to aati nahi ...
Sirf tasveerin chhapengi .. wo gayi .. lo wo gayi ;
.
Ishq ne ki hai inaayat .... anginat .. Ai zindgi ..
Ranj se jo thi ... labalab .. khwaab si wo ho gayi ..!!
.

................................................................................'Taruna'..!!!

























Tuesday, June 23, 2015

कम कम सी ज़िंदगी..!!













वक्ते-रुखसत .. वो मुझे.. कैसी निशानी ... दे गया ..
प्यार से दिल पर लिखी जो ...  इक कहानी दे गया ;
.
रात-दिन रहता है मेरे ...  अब मुसलसल साथ .. वो...
खुशनुमा है .. हर सहर ... शामें सुहानी ..  दे गया ;
.
वो मेरे .. इंकार को ... इज़हार तो ... कहता रहा...
ले गया .. नादानियां सब ... इक दीवानी दे गया ;
.
अधपके से ... अधखिले  से ... थे मेरे .. जज़्बात जो..
आंसुओं की .. उस नदी को .. कुछ रवानी दे गया ;
.
इक शरर से .. आग जो .. उसने ही भड़काई ... कभी ..
जब धुंआ .. उठने लगा ... उसको ही पानी ..  दे गया ;
.
उम्र भर अब .. उम्र का .. अहसास  भी .. होगा नहीं ...
प्यार से  ... भरपूर वो ... ऐसी जवानी  ...  दे गया ;
.
ज़िंदगी में ...  हाँ यकीनन .. ज़िंदगी कुछ ..  कम सी थी ..
ज़िंदगी तो ... ले गया पर .... ज़िन्दगानी ... दे गया ..!!
.

...........................................................................'तरुणा'...!!!
.

Waqt-e-rukhsat .. wo mujhe ... kaisee nishani .. de gaya..
Pyaar se dil par likhi jo   .... ik ...  kahani de gaya ;
.
Raat-din rahta hai mere ... ab musalsal saath  ... wo..
Khushnuma hai .. har sahar... Shaame suhani de gaya ;
.
Wo mere  .. inkaar ko...... izhaar to ... kahta raha....
Le gaya .. naadaniyan sab... ik deewani ... de gaya ;
.
Adhpake se ... adkhile se ... the mere ... jazbaat jo ..
Aansooaon ki... us nadi ko.... kuchh rawaani de gaya ;
.
Ik sharar se .. aag jo... usne hi ..bhadkayi ..kabhi....
Jab dhuaan .. uthne laga... usko hi ..  paani de gaya ;
.
Umr bhar ab ... umr ka ehsaas  bhi ..  hoga nahi ...
Pyaar se ..  bharpoor wo ... aisi jawani de gaya ;
.
Zindgi me .. haan yakeenan ... zindgi .. kuchh kam si thi ..
Zindgi to ... . le gaya par ... Zindgaani de gaya .... !!
.

.................................................................................'Taruna'...!!!


Saturday, June 20, 2015

अज़नबी .. !!!

जान-पहचान थी .... हैं मगर अज़नबी...
ज़िंदगी से रहे ... उम्र भर अज़नबी ;
.
हर परिंदा तो ... छूने लगा ... आसमां...
था जहाँ आशियाँ ... वो शज़र अज़नबी ;
.
आज इस मोड़ पर ... कल किसी मोड़ पर ...
मिल ही जातें हैं जैसे ... बशर अज़नबी ;
.
झूठ कहते रहे ….  सच समझते रहे ...
इन रिसालों की थी .. हर ख़बर अज़नबी ;
(रिसाले—पत्रिका/ journals)
.
चांदनी से ... चमकता रहा ... चाँद भी ..
रोशनी से रहे ... दोनों पर ... अज़नबी ;
.
ना-मेहरबां रहा ... वक़्त हम पर सदा...
जिससे पूछा वही थी ... गज़र अज़नबी ;
(गज़र—घड़ी/clock)
.
जंगे-दुनिया में उतरे ..... यही सोचकर ..
हर अदू अज़नबी ... हर समर अज़नबी ;
(अदू—दुश्मन/enemy)
.
बेख़ुदी में .. कभी ये पता तक .. न था..
जिससे पीते रहे .... वो नज़र अज़नबी ;
.
इस तरह ... रोज़ मंज़र .. बदलते रहे ...
शाम भी अज़नबी ... हर सहर अज़नबी ;
.
कोशिशें कामयाबी की ... ज़ानिब बढ़ी
पास मंज़िल हुई .. तो डगर अज़नबी ;
.
रातभर .... टूटकर …... जो बरसती रही ..
जब सुबह वो मिली .. थी सहर अज़नबी ;
.
इंतिहा ये हुई .....  अजनबीयत की अब..
जिसमे बरसों रहे ... था वो घर अज़नबी ..!!
.

...........................................................'तरुणा'...!!!

Friday, June 19, 2015

वही तस्वीर... !!!


मेरी तस्वीर ...... तेरे अक्स में ... ढलती रही...
ग़ज़ल में एक ही ... सूरत तेरी .. बनती रही ;
.
डगर कितनीं ... गली लाखों .... नगर में हैं... तेरे..
चलूं जिस पर यहाँ  ..  दर पर तेरे  ... खुलती रही ;
.
लगाए लाख़ ताले ..... बंद की ..... दीवारों-दर...
बहुत मजबूर होकर  छत मगर .. गिरती रही ;
.
सिमट कर ... बैठ जाती थी ... दिखाई जब वो दे...
लहर भीतर ... वही उस .. प्रेम की ... बहती रही ;
.
यही चाहा .... न चाहूं  .. शिद्दतों से ... मैं कभी...
उसी की याद .. तो दिन-रात बस .. तपती रही ..!!
.

...................................................................... 'तरुणा'...!!!
.
Meri tasveer ... tere aks me .... dhalti rahi ...
Ghazal me ek hi.. soorat  ...teri... banti rahi ;
.
Dagar kitni ... gali laakhon ... nagar me hain .. tere..
Chalun jis par  yahan  … dar par tere .. khulti rahi ;
.
Lagaaye laakh taale ... band ki …  deewar-o-dar..
Bahut majboor  hokar ..  chhat magar .. girti rahi ;
.
Siamt kar .. baith jaati thi ... dikhaayi jab wo de..
Lahar bheetar ... vahi us ..  prem ki .... bahti rahi ;
.
Yahi chaaha ... na chaahun ... shiddaton se .. main kabhi..
Usee ki yaad ... to din-raat bas .... tapti rahi ..!!
.

.................................................................................'Taruna'..!!!

Tuesday, June 16, 2015

टूटा आईना ...!!!


चोट दिल पर ही .. लगी पर .. भूल तो .. जाना पड़ा ...
आ गये .... नज़दीक इतने ... दूर हो ... जाना पड़ा ;
.
आइना हूँ .... लाज़मी था ... सच दिखाती ... हर दफ़ा...
अक्स सच्चा ..पर दिखाकर ... चूर हो  ... जाना पड़ा;
.
सामना हम.. किस तरह ... करते भला ... तूफ़ान का ...
नाख़ुदा ने ... ख़ुद डुबोया ... डूब लो .. जाना पड़ा ;
.
प्यार क्या इक ... बुलबुला है ... एक पल की .. उम्र हो...
बेहतरी उसकी ... थी इसमें ... फूट तो .. जाना पड़ा ;
.
बारहा चाहा यही ..... कुछ ताज़गी ... बाक़ी रहे ...
वो मनाता जब ... नहीं था .... रूठ तो ... जाना पड़ा ;
.
दिल की बातें ... दिल के किस्से... दिल की ही तो .. बात है ...
दिल की ख़ातिर ... दिल से अपने ... दूर हो .. जाना पड़ा ..!!
.

........................................................................................'तरुणा'...!!!
.

Chot .. dil par hi lagi par.. bhool to ... jana pada ..
Aa gaye .... najdeek itne ..... door ho ... jana pada ;
.
Aaina hun ... laazmi tha .. sach dikhati .... har dafa ..
Aks sachha ... par dikhakar .. choor ho .. jana pada ;
.
Saamna ham .... kis tarah ... karte bhala ... toofaan ka ..
Naakhuda ne ... khud duboya .... doob lo .... jana pada ;
.
Pyaar kya ... ik bulbula hai ... ek pal ki .. umr ho ...
Behtari uski ... thi isme .... foot to .... jana pada ;
.
Baarha chaaha yahi .... kuchh taazgi ... baaki rahe ...
Wo manaata ... jab nahi tha ... rooth to ..... jana pada ;
.
Dil ki baatein ... dil ke kisse ... dil ki hi to .. baat hai ...
Dil ki khaatir ... dil se apne ... door ho ... jana pada ..!!
.
........................................................................................'Taruna'....!!!























Friday, June 12, 2015

क्यूँ हो गया न.... !!!

 













तीर .. दिल पे .. लगा.. मान जा .. मान जा ..
ज़ख्म .. गहरा हुआ .... मान जा .. मान जा ;
.
बेसबब ... रूठना ... बेवजह .... तो नहीं ..
इश्क़ होने लगा .... मान जा ... मान जा ;
.
तू  ... अकेला नहीं ... और भी ... हैं कई ...
भीड़ में .. आ गया .. मान जा .. मान जा ;
.
बात कोई ... न कर... तू सिवा .. प्यार के..
दिल गया .. तो गया .. मान जा .. मान जा ;
.
प्रेम से ... तो बड़ा ... और कुछ ... भी नहीं ..
कब ख़ुदा ... बन गया .. मान जा .. मान जा ;
.
दिन कहीं ... खो गया ...रात दिन .. बन गया ...
कुछ अज़ब ... सा हुआ ... मान जा .. मान जा ;
.
अब कहीं .. कुछ नहीं ... तेरे बस .. में रहा ..
तू न तू  ... रह सका .. मान जा .. मान जा ;
.

...............................................................'तरुणा'....!!!

.

Teer ..  dil pe .. laga ... Maan jaa .. Maan jaa ..
Zakhm … gehra hua … Maan jaa .. Maan jaa ;
.
Besabab ...  roothna ... bewajah ...  to nahi ....
Ishq ..  hone laga ..... Maan jaa .. Maan jaa ;
.
Tu ...akela nahi .... aur bhi ... hain kai .......
Bheed me .. aa gaya ...Maan jaa .. Maan jaa ;
.
Baat koi na kar ...... tu .... siwa .. pyaar ke ....
Dil gaya ... to gaya .... Maan jaa .. Maan jaa ;
.
Prem se to .. bada... aur kuchh ... bhi nahi ...
kab Khuda ... ban gaya ..Maan jaa .. Maan jaa ;
.
Din kahin .. kho gaya .. Raat.. din ban gaya ...
Kuchh ajab sa hua ... Maan jaa .. Maan jaa ;
.
Ab kahin ... kuchh nahi  ... tere bas me raha ..
Tu na tu ... rah saka ..  Maan jaa .. Maan jaa ;
.

......................................................................'Taruna'...!!!