Saturday, November 17, 2012

ठहर जाती मैं....


अब शिकायत है तुम्हें...मुझसे गिला क्यूँ कर है?
आवाज़ दे के पुकार लेते मुझे...तो ठहर जाती मैं|

मैं तुम्हारी ही थी...दिलों जाँ से..रूह की हद तक,
मेरे वजूद को अपना लेते........तो ठहर जाती मैं|

जब तलक साथ थे..नज़र भर के भी न देखा तुमने,
आँसू एक बिछड़ने पे गिरा देते....तो ठहर जाती मैं|

कद्र एक हमने ही इस दुनिया में...पहचानी थी तेरी,
मेरी खामोशियों को जो सुन लेते..तो ठहर जाती मैं|


दिल के टुकड़े-टुकड़े किए......मुझको बिखेरा तुमने,
समेट निगाहों से भी जो देते......तो ठहर जाती मैं|

तुम बहुत देर से लौटे हो....लेने हमारी खोजोखबर,
मरते वक़्त हाथ पकड़ लेते........तो ठहर जाती मैं||
..........................................तो ठहर जाती मैं||

........................................................तरुणा||

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