Friday, January 29, 2016

इश्क़ का इश्तहार...!!!



मेरी बातें  हज़ार करता है...
इश्क़ क्यूँ  इश्तहार करता है ;
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वक़्त जब भी शिकार करता है..
फिर कहाँ होशियार करता है ;
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यार से तो  रक़ीब बेहतर है ..
सामने से तो वार करता है ;
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बारहा ज़ख्म भी दिए उसने..
अब गिले भी हज़ार करता है ;
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वो हमेशा से तो पराया था..
दिल उसे फिर भी प्यार करता है ;
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चोट पर चोट दी  मुझे जिसने..
कहता है जां निसार करता है ;
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क्यूँ निग़ाहों से वो गिराने की...
कोशिशें बार बार करता है ;
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रेल याद़ों की रात भर गुज़री...
कौन फिर अश्क़बार करता है ;
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हर किसी को मुगालता क्यूँ जब..
काम परवरदिगार  करता है ... !!
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............................................'तरुणा'..!!!




Monday, January 25, 2016

हमारा मुल्क ...!!!



हमारे देश की ताक़त है सारी नौजवानों में ..
हमेशा मुल्क को रखते हैं जो अपनी अमानों में ;
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हमारे ताल लय सुर मिल मधुर धुन गुनगुनाते हैं..
हमारी जान बसती है इन्हीं कौमी तरानों में ;
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हमारा मुल्क है ये जान इसपर वारते हैं हम...
परख लो चाहे हमको आज़मा लो इम्तिहानों में ;
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सुनेंगे गूँज सदियों तक हमारी एकता की सब..
शिवालों की खनकती घंटियों में और अजानों में ;
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हमें इस देश में जम्हूरियत जैसी मयस्सर है ..
नहीं है ऐसी आज़ादी कहीं भी संविधानों में ;
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बदल जाती है बोली चंद मीलों के सफ़र ही पर ...
नहीं बदली न बदलेगी मुहब्बत इन ज़ुबानों में ;
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कोई ख़तरा नहीं होगा अगर हम साथ में होंगे...
न उलझेंगे कभी भी हम किन्ही झूठे बयानों में ;
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गवाही देंगी सदियाँ और ये तारीख़ बोलेगी...
अमर होगी हमारी दास्ताने आसमानों में..!!



..............................................'तरुणा'...!!!

Tuesday, January 19, 2016

मुझे बख्श दे..!!!


बख्श दे मुझको सताना छोड़ दे ..
कमसेकम अब याद आना छोड़ दे ;
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मारना है  शौक़ से ख़ंजर उठा ..
तीर नज़रों से चलाना छोड़ दे ;
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बेयकीनी गर मुहब्बत पर तुझे...
प्यार की कसमों को खाना छोड़ दे ;
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तोड़ना था दिल तो वो तोड़ा तो है...
अब मगर टुकड़े चुभाना छोड़ दे ;
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दे इजाज़त नींद भर सो जाऊं मैं ..
ख्व़ाब अब झूठे दिखाना छोड़ दे ;
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दिल जला कर चैन क्यों मिलता नहीं ..
राख़ को तो अब उड़ाना छोड़ दे ;
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उफ़ तेरी  तीख़ी नज़र और ये अदा ...
बिजलियाँ मुझपर गिराना छोड़ दे ;
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मैं अगर नाक़ाबिले-बरदाश्त हूँ ...
जान ले ले मुस्कुराना छोड़ दे ;
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...............................................'तरुणा'...!!!

Saturday, January 16, 2016

अब नहीं होता...!!!



इतना अहसान अब नहीं होता..
मुझसे नुक़सान अब नहीं होता ;
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सोचना चाहती हूँ मैं जिसको..
उस तरफ़ ध्यान अब नही होता ;
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बस्तियाँ प्यार की बसें फिर से...
ऐसा एलान अब नहीं होता ;
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बे ज़मीरी पनप रही है अब..
सब में ईमान अब नहीं होता ;
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डूबना था मुझे तलातुम में..
दिल में तूफ़ान अब नहीं होता ;
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मुन्तज़िर हुक्म की रही उनके...
कोई फ़रमान अब नही होता ..!!
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.....................................'तरुणा'....!!!
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Itna ehsaan ab nahi hota ..
Mujhse nuksaan ab nahi hota  ;
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Sochna chaahti hun main jisko ..
Us taraf dhyaan ab nahi hota ;
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Bastiyaan pyaar ki base phir se …
Aisa ailaan ab nahi hota ;
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Be zameeri panap rahi hai ab..
Sab me imaan ab nahi hota ;
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Doobna tha mujhe talatum me…
Dil me toofaan ab nahi hota ;
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Muntzir hukm ki rahi unke…
Koi farmaan ab nahi hota …!!
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…………………………………’Taruna’….!!!

Sunday, January 10, 2016

इश्क़ का हादसा ..!!!



हाय क्यूँ  ऐसा हादसा न हुआ ..
इश्क़ का कोई भी सिला न हुआ ;
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मुन्तज़िर थी खुलेंगे लब उनके..
उनसे लेकिन ये फ़ैसला न हुआ..
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साथ तुम हो लिए ज़माने के..
तुम को रोकूँ ये हौसला न हुआ ;
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दूध पी के भी डस रहा है वो...
नाग पल कर भी देवता न हुआ ;
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रात दिन दिल मेरा सुलगता है ..
फिर भी मुझ से कभी गिला न हुआ ;
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जाने वो और का हुआ कैसे ..
साथ रहकर भी जो मेरा न हुआ ;
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बख्शती गर नहीं तो क्या करती...
उसके जैसा तो दूसरा न हुआ ;
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उससे बिछड़ी हूँ इस तरह 'तरुणा' ...
मेरा खुद से ही राब्ता न हुआ ...!!
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.....................................'तरुणा'...!!!

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Haay kyun aisa haadsa na  hua ..
Ishq ka koi bhi sila na hua ;
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Muntzir thi khulenge lab unke...
Unse lekin ye faisla na hua ;
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Saath tum ho liye zamane ke..
Tum ko rokun ye hausla na hua ;
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Doodh pee ke bhi das raha hai wo...
Naag pal kar bhi devta na hua ;
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Raat-din dil mera sulagta hai...
Phir bhi mujh se kabhi gila na hua ;
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Jaane wo aur ka hua kaisa...
Saath rahkar bhi jo mera na hua ;
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Bakhshti gar nahi to kya karti...
Uske jaisa to dusra na hua ;
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Ussey bichhadi hun is tarah 'Taruna'...
Mera khud se hi raabta na hua ....!!
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.......................................................'Taruna'...!!!









Monday, January 4, 2016

वो शज़र...!!!



मुझको दुनिया की निग़ाहों में मोतबर कर दे..
ज़िन्दगानी ने हराया है मुजफ्फ़र कर दे ;
(मोतबर-विश्वसनीय..  मुजफ्फ़र-विजेता)
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दुख न पहुंचे मेरे लफ़्ज़ों से किसी को भी कभी ...
मेरे चुभते हुए लहज़े को बेअसर कर दे ;
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हाथ जब जब भी उठाऊँ तेरे दर पर यारब..
मेरी बेलौस दुआओं को पुरअसर कर दे ;
(बेलौस-निस्वार्थ/selfless)
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मुझको दौलत की तमन्ना है न शोहरत की हवस ..
बस फ़क़त प्यार की बारिश में मुझे तर कर दे ;
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हर क़दम पर नई मुश्किल कोई आ जाती है...
अब तो आसां मेरे जीवन का ये सफ़र कर दे ;
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जिसमे साया भी, समर भी हो 'तरु' रख ऐसा ..
घोंसला जिसपे हो पंछी का वो शज़र कर दे ...!!
(समर-फल/fruit)
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.............................................................'तरुणा'...!!!

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Mujhko duniya ki nigaahon me motbar kar de...
Zindgaani ne haraya hai mujaffar kar de ;
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Dukh na pahunche mere lafzon se kisi ko bhi kabhi ..
Mere chubhte huye lahje ko beasar kar de ;
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Haath jab jab bhi uthaaun tere dar par yaarab..
Meri belaus duaaon ko purasar kar de ;
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Mujhko daulat ki tamnna hai na shohrat ki hawas..
Bas fakat pyaar ki baarish me mujhe tar kar de ;
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Har kadam par nayi mushkil koi aa jaati hai...
Ab to aasaAn mere jeewan ka ye safar kar de ;
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Jisme saya bhi , samar bhi ho 'Taru' rakh aisa..
Ghonsla jispe ho panchhi ka wo shazar kar de..!!
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................................................................'Taruna'...!!!