Monday, November 5, 2012

लफ्ज़


यूँ तो कहने सुनने को आवाज़ें बहुत हैं 

मेरे दिल के आस-पास बरसातें बहुत हैं,

पर दिल है कि एक उसी को ढूंढता है

तेरी राहों में फूल बिछा देंगे,जो कहता हैं|

कैसे समझाऊं उस दीवाने को

अपने उस अनोखे परवाने को,

जिंदगी फूलों की सेज नही,काँटों का बिस्तर है

हर क़दम यहाँ पाँवों मे चुभते नश्तर हैं|

कही ऐसा न हो तेरे ख़्वाबो में बिखर जाऊँ

तुझे पाने की ख़्वाहिश में खुद को तिनका-तिनका खो डालूं|

फिर भी तेरे प्यार में भीगे लफ्ज़ पीछा करते हैं

मेरी तनहाइयों में हर पल हँसते हैं||

.........................................................तरुणा|| 

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