यूँ तो कहने सुनने को आवाज़ें बहुत हैं
मेरे दिल के आस-पास बरसातें बहुत हैं,
पर दिल है कि एक उसी को ढूंढता है
तेरी राहों में फूल बिछा देंगे,जो कहता हैं|
कैसे समझाऊं उस दीवाने को
अपने उस अनोखे परवाने को,
जिंदगी फूलों की सेज नही,काँटों का बिस्तर है
हर क़दम यहाँ पाँवों मे चुभते नश्तर हैं|
कही ऐसा न हो तेरे ख़्वाबो में बिखर जाऊँ
तुझे पाने की ख़्वाहिश में खुद को तिनका-तिनका खो डालूं|
फिर भी तेरे प्यार में भीगे लफ्ज़ पीछा करते हैं
मेरी तनहाइयों में हर पल हँसते हैं||
.........................................................तरुणा||
No comments:
Post a Comment