Thursday, November 1, 2012

बग़ावत




सुबह सवेरे से,शोरोगुल के बीच
दौड़ते भागते,हाँफते-हाँफते
बिताती हूँ जिंदगी को|
दुनियावी कामों मे व्यस्त होने
का दिखावा करके कहीं,
छुपाती हूँ अपने ख़ालीपन को|
बहुत कोशिशें की तुझे याद न करूँ,
अब जिंदगी को दुबारा बर्बाद न करूँ|
चलूं किसी और रास्ते पर,
तेरी चाहतों से दूर जा निकलूं|
तेरे दिए हुए ज़ख़्मों को,
जहाँ के तनावों में ढक लूँ|
लेकिन तेरी यादों ने मुझसे
अदावत कर ली|
मेरे ख्यालों ने फिर मुझसे
बग़ावत कर दी|
...........................
बग़ावत कर दी||
..................तरुणा||

1 comment:

taruna misra said...

SAPNAJI...POST KE NEECHE....COMMENTS KA OPTION AATA HAI...US PAR JAAIYE AUR CLICK KARIYE ...PHIR BOX ME COMMENT TYPE KARIYE... AUR NEECHE PUBLISH KE OPTION KO CLICK KARIYE.....COMMENTS PUBLISH HO JAAYEGA...THANKS..