Sunday, June 29, 2014

पहल...!!!




जी तो चाहे था न उठे.... कभी उस महफ़िल से...
चाहता वो भी यही था... दिल में जानते थे हम..
हम तो बढ़ते गए..ये सोच के.. वो रोक ही लेगा ..
आज तो...हाथ पकड़ के ...   मुझको..
वो समझता रहा... हम सुन लेंगे...
दिल की आवाज़...
कुछ अना उसकी... कुछ गुमान हमारा...  खुद पर...
हम उठ आए.. .. पलटे भी नहीं....
वो भी करता ही रहा... इंतजार हमारा....
चाहते दोनों थे..  वही बात... कि जुदा न हो हम....
बात रह गई..... इस बात में...
कि ... पहल कौन करे ..???

...........................................'तरुणा'...!!!


Jee to chaahe tha na uthey ... kabhi us mehfil se..
Chaahta wo bhi yahi tha... dil me jaante the ham...
Ham to badhte gaye.. ye soch ke.. wo rok hi lega ..
Aaj to ....Haath pakad ke...  mujhko...
Wo samjhta raha .... ham sun lenge...
Dil ki aawaz..... 
Kuchh ana uski... kuchh gumaan hamara..  khud par..
Ham uth aaye.... palte bhi nahi...
Wo bhi karta hi raha... intzaar hamara..
Chaahte dono the  .. vahi baat... ki juda na ho ham..
Baat rah gayi... is baat me...
Ki.. pahal kaun karey .. ???

................................................................'Taruna'... !!!

Friday, June 27, 2014

दिल संभल जा ज़रा.... !!!
















दिल धड़कने..  सा लगा....
कुछ मचलने ..  सा लगा ;

देख लिया ... क्या तुझको...
फिर तड़पने ...  सा लगा ;

कल ही तो की... तौबा...
आज बहकने ... सा लगा ;

निकला तू सफ़र में.. जब भी..
साथ चलने ... सा लगा ;

सब कुछ अब तो.. कह डाला..
किस लिए डरने ... सा लगा ;

जिस्म से रूह तक .. जो आँच हुई..
खुद संवरने ... सा लगा ;

इंतिहा हो गई .. इश्क़ की जब..
तब संभलने  ... सा लगा ..!!

..........................................'तरुणा'.. !!!


Dil dhadkne ...... sa laga...
Kuchh machalne ... sa laga ;

Dekh liya  ... kya tujhko ...
Phir tadapne .... sa laga ; 

Kal hi to ki .... tauba... 
Aaj behakne ... sa laga ;

Nikla tu safar me .. jab bhi ..
Saath chalne .... sa laga ;

Sab kuchh ab to .. kah dala..
Kis liye darne .... sa laga ; 

Zism se rooh tak .. jo aanch huyi ..
Khud sanwarne .... sa laga ; 

Intihaa ho gayi ... ishq ki jab ... 
Tab sambhalne ... sa laga .. !!

..............................................'Taruna'... !!! 


Thursday, June 26, 2014

मुहब्बत का तकाज़ा... !!!

















वो हाल-ए-दिल खुद .. ज़माने भर को सुनाते रहे...
और गुनहगार भी अपनी .. अदालत में ठहराते रहे....

करते है तक़ाज़ा .. मेरी मुहब्बत का हर घड़ी...
यूँ सारी उम्र पलपल .. वो मुझको आजमाते रहे....

मिलूँगा तुझसे कभी तो ... आके चाँदनी रातों में..
दे-दे के ये दिलासा वो ... रातों में तड़पाते रहें..

चाहता हूँ बस तुझको .. नहीं है ग़ैर से रगबत..
कहते हैं हर किसी से .. और मुझको बहलाते रहे..
(रगबत-रूचि)

सीचूँगा ज़िंदगी को तेरी ... मैं प्यार से अपने...
झूठ बोलते रहे ... और सच को दफनाते रहें...

.............................................................तरुणा'... !!!



Vo haal-e-dil khud .. zamaane bhar ko sunaate rahe...
Aur gunahgaar bhi apni .. adalat me thahraate rahe ...

 Karte hain takaaza... meri muhabbat ka har ghadi...
Yun saari umr palpal ...vo mujhko aajmaate rahe ...

Milunga tujhse kabhi to ...main aake chaandni raato me..
De-deke  ye dilaasa  vo .. raaton me tadapaate rahe ...

Chaahta hoon bas tujhko .. nahi hai gair se  ragbat ..
Kahte hain har kisi se ... aur mujhko bahlaate rahe ..
(ragbat-interest)

Seechunga zindgi ko teri ... main pyaar se apne...
Jhooth bolte rahe .... sach ko dafnaate rahe...

...................................................................'Taruna'... !!!











Thursday, June 19, 2014

इक मीठी सी कसक ... !!!





















तू फ़िर मेरी तन्हाई में ... बिखरने लगा..
चाँद खिड़की से ... मेरे दिल में उतरने लगा...
बेख़ुदी में तुझे ... कभी निग़ाहों से चूम लेती हूँ...
नज़रों में क़ैद करने की ... बचकानी सी कोशिश करती हूँ...
हर आहट पे तेरी ... दिल मेरा धड़क जाता है....
रूह तक पाकीज़गी का एहसास ... भरा जाता है....
क्या यही है ... मेरा पहला सा प्यार....
इक मीठी सी कसक ... या कोई ख़ूबसूरत याद...

..................................................................'तरुणा'...!!!

Tu phir meri tanhaayi me ... bikharne laga...
Chaand Khidki se .... mere dil me utarne laga ....
Bekhudi me tujhe ... kabhi nigaahon se choom leti hoon....
Nazaron me qaid karne ki ... bachkaani si koshish karti hoon...
Har aahat pe teri ... Dil mera dhadak jata hai...
Rooh tak paakizgi ka ehsaas ... bhara jata hai...
Kya yahi hai .... Mera pahla sa pyaar ...
Ik meethi see kasak ... ya koi khubsoorat yaad ...

.....................................................................'Taruna'....!!!





Monday, June 16, 2014

फिर एक बार... !!!



चलो फिर आज.. ज़िंदगी के पन्ने .. पलटते हैं...
चंद लम्हों में ही ... बरसों का सफ़र करते  हैं ;

क्या खोया ..क्या पाया... ये हिसाब भी करेंगे लेकिन..
पहले देखे के ..... इन ठोकरों से...  कैसे संभलते हैं ;

एक राह में भी ... जुदा-जुदा चलें हैं हम बरसों... 
चलो अब तो .... एक मंज़िल पे जाके निकलते हैं ;

कुछ ख्व़ाब पूरे हुए मेरे .... तो हुए कुछ तुम्हारे भी...
क्या अब भी कोई एक ख्व़ाब.. साथ में देख सकते हैं ?

उम्र का था वो दौर के ..... रह सकते थे अकेले भी ...
'तरु' चलो इस पड़ाव में तो... इक-दूसरे में ढलते हैं .. !!


.................................................................'तरुणा'....!!!


Chalo phir aaj  .. zindgi ke panne  palat'tey hain...
Chand lamho me hi .... barson ka safar kartey hain ;

Kya khoya..kya paya... ye hisaab bhi karenge lekin..
Pahle dekhe ki.. in thokro se ... kaise sambhaltey hain ;

Ek raah me bhi .. juda-juda chaley hain ham barson...
Chalo ab to ...... ek manzil pe jaake nikaltey hain ;

Kuchh khwaab poore huye mere ... to huye kuchh tumhare bhi...
kya ab bhi koi ek khwaab ... saath me dekh saktey hain ?

Umar ka wo daur tha ke ...... rah saktey the akele bhi ...
'Taru' chalo is padaav me to .... ek-dusre me dhaltey hain..!!


...........................................................................................'Taruna'...!!!






Saturday, June 14, 2014

मंज़िल का पता... !!!



































तेरे पांव के ... निशां से ... 
मंज़िल का पता .. कर लेंगे...
तू जहां रखेगा... क़दम ... 
हम भी वहीँ .. सफ़र कर लेंगे ;

दरीचों से झांकते..  सपनों को... 
हम घर में अपने...  भर लेंगे..
इक टुकड़े बादल में ..ख़ुद ही..
भीगेंगे .... तर कर लेंगे ;

एक ही रंग है..  चाहत का .... 
रंग उसी से ... बस घर लेंगे...
दिल के हसीं..  घरौंदे को ....
बस तुझ को .. नज़र कर देंगे ;

ख्व़ाब क्या देखे...  अब कोई ..
तेरे एहसास पे..  बिस्तर कर लेंगे..
तेरे मखमली धुंए सी..  ख़ुशबू में...
ये जीवन बसर ...   कर लेंगे..!!

........................................'तरुणा'.... !!!


Tere paanv ke .. nishaan se .....
Manzil ka pata .. kar lenge ...
Tu jahan rakhega .. kadam.. 
Ham bhi vahin .. safar kar lenge ;

Dareechon se jhaankte..  sapno ko .. 
Ham ghar me apne ..  bhar lenge..
Ik tukde baadal me ..  khud hi .... 
Bheegenge .... tar kar lenge ; 

Ek hi rang hai ... chahat ka .... 
Rang usee se bas..  ghar lenge ...
Dil ke haseen ..  gharaunde ko ... 
Bas tujh ko .. nazar kar denge ;

Khwaab kya dekhe ..  ab koi ..
Tere ehsaas pe ... bistar kar lenge ..
Tere makhmali dhuye si..  khushbu me .. 
Ye jeewan ..... basar kar lenge ..!!


................................................'Taruna'.... !!!

Wednesday, June 11, 2014

मेरे साथ फिर भी है.... !!!




















है साथ नहीं वो मगर .. उसकी खनकार फ़िर भी है...
चाहा उसे मैंने बहुत ... पर इख्तियार फ़िर भी है ;

दिल में हैं हम उनके याके... पनाह दी है ग़ैर को.. 
पता चलता है नही कभी ... दिल बेक़रार फ़िर भी है ;

कद्र उसको न थी मेरी तो .. वो छोड़ गया है मुझे...
अब भी यही लगता है के .. अपनों में शुमार फ़िर भी है ;

मेरी निगाहों की कशिश... न बाँध पाई है उसे..
डूबा न इनमें कभी .. पर तलबगार फ़िर भी है ;

न क़ैद में रखा कभी .... न बंद किया दीवारों में....
महबूस है जो प्यार का... वो गिरफ़्तार फ़िर भी है ;

कुछ तो ख़लिश थी आँख में ...कुछ दर्द सा भी था मुझे....
कितनी दवा की है मैंने ... इश्क़ का बुख़ार फ़िर भी है..!!


.................................................................'तरुणा'...!!!


Hai saath nahi vo magar ... uski khankaar phir bhi hai...
Chaaha usey maine bahut ... par ikhtiyaar phir bhi hai  ;

Dil me hain ham unke yake ... panah di hai gair ko ...
Pata chalta hai nahi kabhi ... dil beqaraar phir bhi hai ;

Qadr usko na thi meri to..... vo chhod gaya hai mujhe..
Ab bhi yahi lagta hai ke... apno me shumar phir bhi hai ;

Meri nigaahon ki kashish ... na baandh paayi hai usey...
dooba na vo inme kabhi ... mera talabgaar phir bhi hai ;

Na qaid me rakha kabhi... na band kiya deewaron me...
Mehbooos hai jo pyaar ka ... vo giraftaar phir bhi hai ;

Kuchh to khalish thi aankh me ... kuchh dard sa bhi tha mujhe..
Kitni dawa ki hai maine ..... ishq ka bukhaar phir bhi hai .... !!

....................................................................................'Taruna'... !!!







Monday, June 9, 2014

क्या ज़ुर्म है मेरा.... !!!















इक बुराई ही चाही थी... अच्छाई मांगती तो जुर्म होता..
मोहब्बत ही चाही बस  ... खुदाई मांगती तो जुर्म होता...

किसने चाहा कि करो तुम ... दर्द-ए-दिल का इलाज़ ..
ज़हर ही चाहा था ....  दवाई मांगती तो जुर्म होता ...

ज़िंदगी जीने के लिए ... कुछ लम्हें मांगे थे उधार ...
झूठ ही चाहा था ... सच्चाई मांगती तो जुर्म होता...

तुम अपनी इक निग़ाह में .. जो क़ैद कर लेते मुझको...
असीर बनी रहती मैं ... रिहाई मांगती तो जुर्म होता...
(असीर-क़ैदी)

दो-चार शिकन..कुछ ख़ार... कसक-औ-दर्द .. थोड़ा सा...
यही दुनिया थी मेरी ....  पराई मांगती तो जुर्म होता...

कब चाहा नाम लिखो 'तरु' का... अखबारों-औ-रिसालों में...
पारसाई ही तो चाही ... शनासाई मांगती तो जुर्म होता...
(पारसाई-आत्म सम्मान... शनासाई-परिचय)

......................................................................'तरुणा'...!!!

Ik buraai hi chaahi thi ... achhayi maangti to zurm hota...
Mohabbat hi chaahi  bas... Khudai maangti to zurm hota..

Kisne chaaha ke karo tum ....  dard-e-dil ka ilaaz ...
Zehar hi chaaha tha ... dawaai maangti to zurm hota...

Zindgi jeene ke liye ... kuchh lamhe maange the udhaar ...
Jhooth hi chaaha tha ... sachhayi maangti to zurm hota...

Tum apni ik nigaah me .... jo qaid kar lete mujhko ...
Aseer bani rahti main ... rihaayi maangti to zurm hota..
(aseer-prisoner)

Do-chaar shikan..kuchh khaar .... kasak-au-dard thoda sa....
Yahi duniya thi meri .... Parayi maangti to zurm hota...

Kab chaaha naam likho 'Taru' ka .... akhbaaro-au-risaalo me...
Paarsaai hi to chaahi ... shanasai maangti to zurm hota....
(paarsai--self respect... shanasai-acquaintance)

....................................................................................'Taruna'...!!!








Wednesday, June 4, 2014

शाम का चौबारा.... !!!



चल शाम के ... चौबारे पर.... 
नदी के उसी ... किनारे पर ..
मंदिर की सीढ़ियों पर ... हम ..
उतरती पर मैं ... चढ़ती पर तुम...
तिरी गोद में हो ... सर मिरा...
मिरे बालों में ... तू हाथ रहा हो फिरा...
सूरज की परछाइयां ... हम पर रही हो डूब-उतरा...
शाम के  झुरमुट में बैठे हो .. दामन फैला....
चाँद के आने की ... सुनाई देती हो आहट....
चांदनी तड़प कर ... यूँ देती हो दस्तक....
तमन्ना फिर गोद में ... बिखरने लगी हो...
दिल की धडकनें ... मचलने लगी हो...
तो झुक जाए ... मुझ पर ... फिर ऐसे...
शाम फिर रात से ... मिलने लगी ही जैसे...
बोसे में चांदनी ... घुलने लगी हो...
ख़ामोशी के शहद से ... मिलने लगी हो...
दूर कहीं बजती हो ... मंदिर की घंटी...
चले फिर आज हम उसी ... प्यार की पगडंडी... 

........................................................'तरुणा'....!!!


Chal shaam ke ... chaubaare par ...
Nadi ke usee ... kinaare par ..
Mandir ki seedhiyon  par ... ham...
Utarti par main ... chadhti par tum ...
Tiri god me ho ... sar mira ...
Mire baalo me ... too haath raha ho mira...
Sooraj ki parchhaiyaan ... ham par rahi ho dub-utara..
Shaam ke jhurmut me baithe ho .. daaman faila ...
Chaand ke aane ki .. sunaayi deti ho aahat....
Chaandni tadap kar ... yun deti ho dastak ...
Tamnna phir god me ... bikharne lagi ho...
To jhuk jaaye... mujh par ... phir aise ..
Shaam phir raat se ... milne lagi ho jaise ...
Bose me chaandni .. ghulne lagi ho... 
Khamoshi ke shehad se ... milne lagi ho ..
Door kahin bajti ho ... mandir ki ghanti ... 
Chale phir aaj ham usee ... pyaar ki pagdandi...

......................................................................'Taruna'... !!!

Monday, June 2, 2014

बस एक सितम चाहिए.... !!!



सितमगर तुम्हारा..  सितम चाहिए बस...
नहीं कोई दूजा ... करम चाहिए बस... ;

कभी तू हमारा ..... न होगा जहाँ में....
मिरा दिल है जाने... भरम चाहिए बस ;

हमेशा चलाते यहीं ......  तीर क्यूँ हो ?
कभी लफ्ज़ मुझको.... नरम चाहिए बस ;

उड़ाने बहुत हो चुकी ...... आसमां में...
शज़र मिल गया अब .. दम चाहिए बस ;

पुराने हुए हैं सभी ..... ज़ख्म अपने...
नई चोट ... गरमागरम चाहिए बस .. !!

...................................................'तरुणा'..!!!

Sitamgar tumhara ... sitam chaahiye bas..
Nahin koi dooja .... karam chaahiye bas ;

Kabhi tu hamara ... na hoga jahan me..
Mira dil hai jaane ... bharam chaahiye bas ;

Hamesha chaalte yahin... teer kyun ho ?
Kabhi lafz mujhko... naram chaahiye bas ;

udaane bahut ho chuki... aasmaan me..
Shazar mila gaya ab .... dam chaaiye bas ;


Puraane huye hain sabhi .. zakhm apne...
Nayi chot ... garmagaram chaaiye bas ...!!

....................................................................'Taruna'..!!!