आओ इस बार......
कुछ इस तरह से दीपावली को मनाए|
कम से कम कुछ दिलों मे तो दिए जलाए||
लाखों के पटाखें अब तक फोड़ दिए हैं हमने
किसी झोपड़ी मे इस बार कुछ पटाखें दे आए|
आओ इस बार...................
नही है जगह अलमारियों में कपड़े रखने को
इस बार किसी ग़रीब के तन ही को ढक जाए|
आओ इस बार....................
बिजलियों से रोशन हैं हमारे घरों की दरोंदीवारें
किसी लाचार की जिंदगी को तो रोशन कर जाए|
आओ इस बार......................
लाखों तड़प के मरते हैं सड़कों-हस्पतालों में हररोज़
काश.......हम किसी एक की जिंदगी तो बचा पाए|
आओ इस बार..........................
गुनाह तो कर चुके है इतने हिसाब है न कोई
अब जीते जी कोई एक, सबाब तो कर पाए|
आओ इस बार.............................
खुदा ने दी हैं हज़ारों नेमते तो बने न खुद,खुदा
कम से कम एक इंसान की जिंदगी तो जी पाए||
आओ....इस बार कुछ इस तरह दीपावली मनाए||
आओ इस बार...........................
.................................................तरुणा||
4 comments:
This is awesome with wonderful thoughts.
Hiiii Shiuli.....thanks for your feedback....I really appreciate that you like the content of my poem...'DEPAWALI'...I hope in you'll continue giving your remarks in future as well.....thanks......Taruna Misra..:)
Muskurate hanste deep tum jalana,
Jeevan mein nayi khushiyo ko lana,
Dukh dard apne bhool kar,
Sbko gale lagna or pyar se Diwali manana.
Laxmi aayegi itni ki sab jagah naam hoga,
Din raat vyapar bade itna adhik kam hoga
Ghar pariwar samaj me banoge sartaj,
Yehi kamna hai hamari aap ke liye
Diwali ki dhero shubh kamanaye…..
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