उफफफफ्फ़..........
ये कौन किसका हाथ है?
नींद से चौंक उठ बैठी हूँ मैं
कोई भी नही है पास मेरे
फिर भी है ये कैसा एहसास
किसका स्पर्श है ये जिसने
मेरे जिस्मोजां में स्पंदन किया है
जिसकी छुअन से दौड़ती है रग-रग में बिजली
मीठा-मीठा जहर सा बहता है जिस्म में
है बहुत दूर, बहुत दूर...
वो अजनबी मुझसे..........
फिर क्यूँ उसकी धड़कन कानों में गूँजती है
सरसराती हुई आती है उसकी आवाज़
ये मेरा नाम फिर क्यूँ है पुकारा,उसने
जब से आया है मेरी बेरंग जिंदगी में
एक घड़ी चैन से मैं न कभी सोई हूँ
रात-रात भर तड़पाती है उसकी वो छुअन
जो बहुत दूर से उसने मुझे पहुँचाई है
आए हुए कुछ दिन ही हुए है उसको
क्यूँ लगता है कि युगों से जानती हूँ मैं
और वो हाथ बढ़ाकर अक़सर
क्यूँ मेरी रातों को तपाया करता है?
मैं अब फिर से सो नहीं पाऊँगी
कई रातों से जागी हूँ मैं ,बता दो उसको
यूँ मेरी नींद में आके जगाया न करे
क्यूँ मेरी रातों को तनहा, वो कर देता है
आना है तो फिर आ जाए, हमेशा के लिए
जिंदगी भर जागूंगी मैं , फिर उसके लिए|
सिर्फ़ उसके लिए..............................
...................................................तरुणा||
12 comments:
सच दिल को स्पर्श करती पंक्तियाँ !!! बहुत ही उम्दा कृति
SIYAHI..........Many thanks for your feedback.......I'm really grateful....please continue giving your precious comments in future as well........thanks....Taruna Misra.........:)
बहुत ही उम्दा :)
Thanks....Kalpana for liking 'SPARSH'..due to DEEPAWALI..I was also busy a little bit...today I'll post my new poem....hope you'll like that too and give youe response time to time.....:)...Taruna...
So romantic having glimps of agony.
Many many thanksss ... Naadaan Parinda Jii ... :)))
ham realy dil ko chhu jate he taruna he bahut sundar he.
Many thankss .. Janak Vegad ji ... Bahut Shukriya ... :))))
Bahut badhiya taruna ji heart touching lines
Jujhar rahi ji ... bahut bahut Shukraguzaar hoon ... :)))
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