Tuesday, August 12, 2014

आख़िर ... ये क्या है.... !!!



उसकी यादों की.. परछाइयां....
हमारे वज़ूद की.. तामीरें हैं....
पर ज़ेहन इन्हें ... जी का जंजाल समझता है  ;

दिल में उतरी हैं.. तन्हाइयां....
जिनपे लिखी वो.. तहरीरे हैं....
फिर भी दिल में कहीं .. कोई सवाल मचलता है ;

पुरसुकूं लगती हैं अब.. रुसवाइयां...
सबमे उसकी ही ... तक़रीरे हैं...
क्यूँ हर ज़र्रे में ... उसका कमाल बिख़रता है ;

वाबस्ता उससे हैं हर... शहनाइयां...
आलम में बस उसकी ... तस्वीरें हैं..
और रूह में भी .. उसीका ज़माल झलकता है...!!

.....................................................................'तरुणा'...!!!



Uski yaadon ki ... parchhaaiyaan..
Hamare wazood ki .. taameerin hain ..
Par zehan inhe .. ji ka janzaal samajhta hai  ;

Dil me utari hai ... tanhaaiyaan..
Jinpe likhi wo  ... tehreein hain ...
Phir bhi dil me kahin .. koi sawaal machalta hai ;

Pursukun lagti hai ab... ruswaaiyaan ..
Sabme uski hi ... taqreerein hain...
Kyun har zarre me .. uska kamaal bikharta hai ;

Wabasta us'sey hai har ... shehnaaiyaan ..
Aalam me bas uski ..... tasveerin hain ...
Aur rooh me bhi ... usee ka zamaal jhalakta hai ..!!

................................................................................'Taruna'...!!!

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