कोशिश करती हूँ.... छू लूं ..तेरी ऊँचाई को...
तारीफ़ की सीढ़ियों पे ... चढ़कर....
जितना चढ़ती हूँ.. मैं...
तू दूर और दूर .. हो जाता है...
कद तेरा... ऊंचे से ऊंचा हो जाता है....
कई सदियों से... मेरी ये कोशिश जारी है....
फिर भी... ऊंचाई तेरी.... मुझपे तो भारी है....
गिर पड़ती हूँ मैं.... यूँ ही चढ़ते चढ़ते....
तुझे छूने की.... नाकाम कोशिश करते करते....
बिखरी हूँ मैं... ज़मीं पर....
तुझे ... पाऊंगी कैसे..?
चाँद है .. तू आसमां का....
बस.... वहीँ पे जाके.....
सोचती थी कभी... तेरी रौशनी में... नहा लूंगी मैं....
है हकीक़त नहीं ...एक ख्वाब .. जानती हूँ मैं....
जानती हूँ मैं....!!
...............................................................'तरुणा'...!!!
Koshish karti hun... chhu loon.. teri oonchayi ko...
Taareef ki seedhiyon pe... chadhkar..
Jitna chadhti hoon ... main...
Tu door aur door.... ho jata hai...
Kad tera... oonche se ooncha ho jata hai....
Kai sadiyon se .... meri ye koshish jari hai...
Phir bhi... oonchayi teri ... mujhpe to bhari hai....
Gir padti hoon main.... yunhi chadhte chadhte....
Tujhe chhoone ki... naaqaam koshish karte karte....
Bikhri hoon main.... zameen par...
Tujhe ... paaungi kaise... ?
Chaand hai .. tu asmaan ka....
Bas.... vahin par jaake....
Sochti thi kabhi.... teri roshni me...naha lungi main...
Hai haqeeqat nahi... ek khwaab ..jaanti huoon main..
Jaanti hoon main...!!
.......................................................................................'Taruna'....!!!
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