औरत...
हाँ...मैं औरत हूँ...
भावना....समर्पण...प्यार... .विश्वास..से बनी....
न जाने कितनी...खूबियों से गुनी....
हर तरफ़ मेरा ही...नूर है...फ़ैला हुआ...
हर बंधन...रिश्ता...बस मुझसे ही...गुथा हुआ....
हर ओर मेरी ही छाँव है.....मेरा ही उजाला है....
पर खुद से...मेरा बंधन...न कहीं जुड़ पाया है....
सब...निभाते...संभालते...हर कर्त्तव्य की वेदी में...जलते जलते....
मैं कहीं खुद की ही...राख़ में दबी पड़ी हूँ....
शायद अपना ही..अक्स अब तक...न देख सकी हूँ...
पर......................
अब नहीं होगा.......ये.........
ख़ुद ही की तस्वीर न...बेरंग होने दूँगी मैं....
अपने ख़्वाबो की ताबीर....खुद बनूंगी मैं....
अपनी निष्प्राण देह में...फिर प्राण भरूँगी मैं....
कुछ पल तो ज़िंदगी के....अब स्वयं के लिए जिऊंगी मैं.....
अपना मिलन...अपनी ही आकृति से....करवाऊंगी मैं...
क्यूंकि मैं हूँ...एक औरत.....
ख़ुद हूँ...रचनाकार.....
मैं ही तो हूँ...प्रकृति....सबसे निश्छल...कृति...
पहचानूंगी....अब खुद को....
जिऊंगी...मैं अपने को....
कुछ तो रंग दूँगी....ज़िंदगी को....
कुछ तो..........
.......................... .......................... .'तरुणा'......!!!
Aurat....
Haan...main aurat hoon.....
Bhaavna...samarpan...pyaar ...vishvaas...se bani.....
Na jaane kitni....khoobiyon se guni.....
Har taraf mera hi noor hai...faila hua.....
Har bandhan...rishta...bas mujhse hi...gutha hua...
Har aur meri hi chaanv hai....mera hi ujaala hai...
Par khud se...mera bandhan...na kahin jud paaya hai....
Sab...nibhaatey...sambhaal tey...har karttvy ki vedi me...jaltey jaltey....
Main kahin khud ki hi...raakh me dabee padi hoon...
Shaayad apna hi..aks ab tak...na dekh saki hoon....
Par....................... ......
Ab nahi hoga...........ye......... ...........
Khud ki tasveer ko na.....berang hone doongi main....
Apne khwaabo ki taabeer....khud banoogi main.....
Apni nishpraan deh me....phir praan bharoongi main....
Kuchh pal to zindgii ke....ab swayam ke liye jioongi main...
Apna milan...apni hi aakriti se....karvaaoongi main...
Kyunki main hoon....ek aurat.....
Khud hoon....rachnakaar.....
Main hi to hoon...Prakriti...sabse nishchhal Kriti....
Pahchaanoogi....ab khud ko...
Jioongi...main apne ko.....
Kuchh to rang doongi....zindgii ko....
Kuchh to.........
.......................... .......................... ...............'Taruna'... ......!!!
हाँ...मैं औरत हूँ...
भावना....समर्पण...प्यार...
न जाने कितनी...खूबियों से गुनी....
हर तरफ़ मेरा ही...नूर है...फ़ैला हुआ...
हर बंधन...रिश्ता...बस मुझसे ही...गुथा हुआ....
हर ओर मेरी ही छाँव है.....मेरा ही उजाला है....
पर खुद से...मेरा बंधन...न कहीं जुड़ पाया है....
सब...निभाते...संभालते...हर
मैं कहीं खुद की ही...राख़ में दबी पड़ी हूँ....
शायद अपना ही..अक्स अब तक...न देख सकी हूँ...
पर......................
अब नहीं होगा.......ये.........
ख़ुद ही की तस्वीर न...बेरंग होने दूँगी मैं....
अपने ख़्वाबो की ताबीर....खुद बनूंगी मैं....
अपनी निष्प्राण देह में...फिर प्राण भरूँगी मैं....
कुछ पल तो ज़िंदगी के....अब स्वयं के लिए जिऊंगी मैं.....
अपना मिलन...अपनी ही आकृति से....करवाऊंगी मैं...
क्यूंकि मैं हूँ...एक औरत.....
ख़ुद हूँ...रचनाकार.....
मैं ही तो हूँ...प्रकृति....सबसे निश्छल...कृति...
पहचानूंगी....अब खुद को....
जिऊंगी...मैं अपने को....
कुछ तो रंग दूँगी....ज़िंदगी को....
कुछ तो..........
..........................
Aurat....
Haan...main aurat hoon.....
Bhaavna...samarpan...pyaar
Na jaane kitni....khoobiyon se guni.....
Har taraf mera hi noor hai...faila hua.....
Har bandhan...rishta...bas mujhse hi...gutha hua...
Har aur meri hi chaanv hai....mera hi ujaala hai...
Par khud se...mera bandhan...na kahin jud paaya hai....
Sab...nibhaatey...sambhaal
Main kahin khud ki hi...raakh me dabee padi hoon...
Shaayad apna hi..aks ab tak...na dekh saki hoon....
Par.......................
Ab nahi hoga...........ye.........
Khud ki tasveer ko na.....berang hone doongi main....
Apne khwaabo ki taabeer....khud banoogi main.....
Apni nishpraan deh me....phir praan bharoongi main....
Kuchh pal to zindgii ke....ab swayam ke liye jioongi main...
Apna milan...apni hi aakriti se....karvaaoongi main...
Kyunki main hoon....ek aurat.....
Khud hoon....rachnakaar.....
Main hi to hoon...Prakriti...sabse nishchhal Kriti....
Pahchaanoogi....ab khud ko...
Jioongi...main apne ko.....
Kuchh to rang doongi....zindgii ko....
Kuchh to.........
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