Wednesday, March 12, 2014

वो मरासिम...!!!




कल थे जो तेरे अपने ... उनकी फ़िकर तो रखना...
हो आज न वो दिल में..... थोड़ी ख़बर तो रखना ;

मिल जाए गर कहीं वो ... मुद्दत के बाद तुमको..
शिकवा न कोई करना ... तुम कुछ सबर तो रखना ;

फ़िज़ूल के मसलों का ... न जिक्र आए कोई...
सूखा वो शज़र है पर ... तुम इक समर तो रखना ;
(शज़र-पेड़... समर-फल)

रस्तें अलग हुए हो .... मंज़िल भी हो जुदा पर...
जब सिम्त एक ही है .. दुआ इक मगर तो रखना ;
(सिम्त-दिशा)

माना के घर सजा है... चटकीले चरागों से ...
स्याह अब्र जो घिर आए... रोशन डगर वो रखना ;

है वास्ता 'तरु' अब भी .. पहले के मरासिम का...
कुरबान ज़रुरत पे .... अपना ज़िगर तो रखना..!!
(मरासिम-रिश्ता)


...............................................................'तरुणा'...!!!



Kal the jo tere apne... unki fikar to rakhna...
Ho aaj na vo dil me .. thodi khabar to rakhna ;

Mil jaaye gar kahin vo.. muddat ke baad tumko..
Shiqwa na koi karna .. tum kuchh sabar to rakhna ;

Fizool ke maslon ka ...... na zikr aaye koi ...
Sookha vo shazar hai par ... tum ik samar to rakhna ;
(shazar-tree .. samar-fruit)

Raste alag huye ho .... manzil bhi ho juda pa ...
Jab simat ek hi hai ... dua ik magar to rakhna ;
(simat-direction)

Mana ke ghar saja hai ... chatkeele charaagon se ..
Syaah abr jo ghir aaye .. roshan dagar vo rakhna ;

Hai vaasta 'Taru' ab bhi ... pahle ke marasim ka ...
Qurbaan zaroorat pe ... apna jigar to rakhna .. !!

...........................................................................'Taruna'...!!!

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