Monday, March 10, 2014

पूरी उमर का रोग....!!!




आए वो रात .. ख्व़ाब... दिखा कर चले गए...
बुझते हुए शोलों को ... जला कर चले गए ;

दीदार की हसरत लिए मैं ... जागती रही...
पलकों पे आंसूओं को .. सजा कर चले गए ;

ग़ज़लें मुहब्बतों की मैं ... गाती रही दिल से ..
सितार-ए-ज़िस्म को वो .. बजा कर चले गए ;

तस्वीर उनकी मैं तो .. छुपाती रही सब से ...
अपना पता वो ख़ुद ही .. बता कर चले गए ;

क़तरा थी मैं .. साग़र मुझे .. उसने ही बनाया..
एहसान अपना मुझपे ... जता कर चले गए ;

माँगा था मुहब्बत भरा ... लम्हा बस एक ही...
पूरी उमर का रोग ... लगा कर चले गए ... !!


.........................................................'तरुणा'...!!!


Aaye vo raat ..khwaab ... dikha kar chale gaye..
Bujhte huye sholon ko ... jala kar chale gaye ;

Deedar ki hasrat liye main ..... jaagti rahi ..
Palkon pe aansuao ko ... saja kar chale gaye ;

Ghazalein muhabbato ki main .. gati rahi dil se..
Sitaar-e-zism ko vo ....  baja kar chale gaye ;

Tasveer unki main to .... chhupati rahi sab se..
Apna pata vo khud hi ... bata kar chale gaye ;

Qatra thi main..saagar mujhe ... usne hi banaya..
Ehsaan apna mujhpe .... jata kar chale gaye ;

Maanga tha muhabbat bhara .. lamha bas ek hi..
Poori uamar ka rog ..... laga kar cahle gaye ...!!



........................................................................'Taruna'...!!!





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