Monday, March 31, 2014

एक बूंद इश्क़ में.... !!!


छम छम छम...
मेरी पाज़ेब की खन खन... हौले हौले...
तेरे दिल की धड़कन सी बज उठी...
और गूंजने लगी....हर दिशा में...हर ओर...
फ़िर से नग्में बिखरने लगे...
हवाएं संगीत सुनाने लगी...
कहीं गज़लें...कहीं नज़्में...कहीं गीत मुस्कुराने लगे...
तेरे क़दमों की आहट...दिल से गुज़रने लगी...
शोर धडकनों का फ़ैल गया.... सब तरफ़..
घबरा गई मैं... फ़िर से...
कोई देख न ले मुझमे...तुझको...
पहचान न ले...तेरे वज़ूद को....
तेरे मुझ तक आने के लम्हें...सदियों से लगे...
पर आते ही...पलकें मुंद गई...
सरसराहट होने लगी...लहू में...
उफ्फ...मैं खोने लगी हूँ..ख़ुद को तुझमे...
आज मैं फ़िर...पिघल गई...
सिर से पाँव तक...सराबोर....तेरे प्यार में...
तेरे एक बूंद इश्क़ में...

तेरे एक बूंद इश्क़ ने .... मुझे परिपूर्ण कर दिया.... 
उस प्यार के लम्हें ने ... मुझे सम्पूर्ण कर दिया...

..........................................................'तरुणा'..!!!


Chham ..chham ...chham...
Mere paazeb ki khan khan....haule haule...
Tere dil ki dhadkan si baj utthi...
Aur goonjne lagi...har disha me...har aur...
Phir se nagme bikharne lage...
Havaaye sangeet sunaane lagi...
Kahin ghazaley....kahin nagmey...kahin geet muskuraane lage...
Tere qadmo ki aahat...dil se guzarne lagi...
Shor dhadkano ka fail gaya....sab taraf...
Ghabra gayi main....phir se...
Koi dekh na le mujhme....tujhko...
Pehchaan na le...tere vazood ko...
Tere mujh tak aane ke lamhey...sadiyon se lage...
Par aate hi...palken mund gayi..
Sarsaraahat hone lagi... lahoon me...
Ufffff...main khone lagi hoon...khud ko tujhme..
Aaj main phir...pighal gayi...
Sar se paanv tak...sarabor...tere pyaar me..
Tere ek boond Ishq me....

Tere ek boond ishq ne.. mujhe paripoorn kar diya...
Us pyaar ke lamhe ne... mujhe sampoorn kar diya..

........................................................................'Taruna'....!!!

Saturday, March 29, 2014

दिल की रज़ा...!!!


तेरा है ये दिल इसकी ... रज़ा हमसे न पूछो...
लुट के जो पाया है वो ... नफा हमसे न पूछो ;

होते हुए सूरज के जो ... होता न उजाला ...
फ़िर रोशनी का कैसा ... मज़ा हमसे न पूछो ;

है साथ मुन्फरीद वो ... ये जानते हैं हम..
हाथों में न हो हाथ .. सज़ा हम से न पूछो ;

महफ़िल में जाम से भी तो .. सुरुर न हुआ ..
उन आँखों से जो पी वो .. नशा हमसे न पूछो ;

शम्मा जली..परवाना जला .. दिल भी जल गया...
उठता है अब कितना वो .. धुंआ हमसे न पूछो ;

कितनी तड़प थी प्यार में .... परवाने-शमा के ..
मिट के है वो कैसे ... जिया हमसे न पूछो ;

मौजें जो डुबाती तो गम ... था नहीं हमको...
हम डूबे किनारों पे ... कज़ा हमसे न पूछो ;
(कज़ा-भाग्य)

हम प्यासे थे मुद्दत से बड़े... इस ज़मीं के साथ..
जो झूम के बरसी है ... घटा हमसे न पूछो ;

नादान बहुत है ये दिल .... इसको ख़बर नहीं ...
ख़ामोश जुबां की ये ... सदा हमसे न पूछो.. !!

.............................................................'तरुणा'...!!!


Tera  hai ye dil iski raza .. hamse na poochho..
Lut ke jo paya hai vo ..  nafa hamse na poochho ;

Hote huye sooraj ke jo .... hota na ujaala...
Phir roshni  ka kaisa  ... maza hamse na poochho ;

Hai saath munfareed vo... ye jaante hain ham...
Haatho me na ho haath .. saza hamse na poochho ;

Mehfil me zaam se bhi to ... suroor na hua....
Un aankho se jo pi vo ...  nasha hamse na poochho ;

Shamma jali parwaana jala ....  dil bhi jal gaya..
Uthta hai ab kitna vo .. dhuaan hamse na poochho ;

Kitni tadap thi pyaar me ... parwaane-shama ke...
Mit ke bhi hai vo  kaise ... jiya  hamse na poochho ;

Mauze jo dubaati  to gam ....  tha nahi hamko...
Ham dube kinaare pe  ... kaza hamse na poochho ;
(kaza-fate)

Ham pyaase the mudddat se bade.. is zameen ke saath...
Jo jhoom ke barsi hai  ... ghata  hamse na poochho ;

Naadan bahut hai ye dil ...... isko khabar nahi...
Khaamosh zubaan ki ye ... sada hamse na poochho ..!!


....................................................................................'Taruna'..... !!!

Thursday, March 27, 2014

जरा सी हिमाक़त....!!!



ज़माने से ... बग़ावत कर ली हमने...
किसी से अब .. मुहब्बत कर ली हमने ;

ख़्यालों में बुलाती हूँ  .... उसे मैं...
बस इतनी सी .. हिमाक़त कर ली हमने ;

चमकता चाँद वो .... गर्द-ए-ज़मीं मैं....
है दूरी फ़िर भी .. क़ुर्बत कर ली हमने ;
(क़ुर्बत-नज़दीकी)

कहा ये कब  .. कि वो मेरा ही रहे वो ...
मरूं बांहों में .. हसरत कर ली हमने ;


कहो उसको कि ख़्वाबों में ही ... मिल ले...
के नींदों से  ... इज़ाज़त कर ली हमने ;

मिटूं मैं अब भले ... पा लूं जो उसको...
'तरु' से ख़ुद .. अदावत कर ली हमने..!!

............................................................'तरुणा'...!!!



Zamaaney se .. bagaawat kar li hamne...
Kisi se ab .... muhabbat kar li hamne ;

Khyaalon me bulati hoon.. usey main...
Bas itni see ..... himaaqat kar li hamne ;

Chamakta chaand vo ... gard-e-zameen main...
Hai doori phir bhi ... qurbat kar li hamne ;
(qurbat-togetherness)

Kaha ye kab ...... ki mera hi rahe vo...
Marun baanho me .. hasrat  kar li hamne ;

Kaho usko ki khwaabo me hi ... mil ley....
Ke neendo se ...... izaazat kar li hamne ;

Mitun main ab bhale ... paa lun jo usko....
'Taru'  se khud .... adavat kar li hamne..!!

....................................................................'Taruna'....!!!

Sunday, March 23, 2014

तू मेरा चाँद.... !!!



कई बार चाँद से ... जी बहलाती हूँ अपना...
आँखों आँखों में इशारे ... और बात होती है..
कभी बादलों में छुप के... चिढ़ाना उसका....
कभी चांदनी उसके .... साथ होती है... 

उस चाँद से मेरा .. अज़ब सा नाता है....
रात को चुपके से...खिड़की से घुस आता है..
कितना कहती हूँ ... तू मेरा नहीं सबका है...
बात सुनता नहीं.... गोद में आ लेट जाता है..

मैं जब पूंछती हूँ ... तू क्यूँ ठहरा है यहीं ...
कहता है तेरी हर बात.. चाशनी सी लगती है..
तेरी मरमरी बांहों में.. जो मैं सो जाता हूँ...
ज़िंदगी बड़ी .... ख़ुशमिजाज़ लगती है...

बांहे मेरी हैं ... अब तकिया उसका...
जग ज़ाहिर है... अब प्यार भी उसका ...
वो कभी जो शिकायत .. भी करे हैं मुझसे...
बेअदबी में भी .... मिठास लगती है...

बिकाऊ हो न हो चीज... उनको क्या मालूम ...
वो दिल खोल कर ...बोली लगाये जाते हैं....
चाँद मेरे पहलू से ... उठके न जायेगा कभी...
फ़िर भी हर पल उसको.... बुलाए जाते है..

..........................................................'तरुणा'... !!!


Kai baar chaand se ... jee bahlati hoon apna...
Ankho ankho me ishaare ... aur baat hoti hai..
Kabhi badalon me chhup ke... Chidhana uska...
Kabhi Chaandni uske .... saath hoti hai...

Us chaand se mera ... azab sa naata hai...
Raat ko chupke se... khidki se ghus aata hai..
Kitna kahti hoon ... tu mera nahi sabka hai...
Baat sunta nahi ... god me aa let jata hai... 

Main jo poochhti hun ... tu kyun thahra hai yahin...
Kahta hai teri har baat ... Chaashni si lagti hai.... 
Teri marmari baahon me ... jo main so jata hun...
Zindgi badi ...... khushmijaaz lagti hai.....

Baanhe meri hain .... ab takiya uska....
jag zaahir hai ab ...... pyaar bhi uska... 
Vo kabhi jo shiqaayat ... bhi karey hai mujhse..
Be-adabi me bhi .... mithaas lagti hai...

Bikaau ho na cheez ... unko kya maaloom...
Vo dil khol kar ... boli lagaaye jaate hain ....
Chaand mere pahlu se .. uth ke na jayega kabhi..
Phir bhi har pal .... usko bulaaye jaate hain...

..........................................................................'Taruna'...!!!

Thursday, March 20, 2014

वो पहला लम्हा .... !!!


वो लम्हा... वो पल....
याद है... आज भी मुझे...
जब मिले थे... हम और तुम...
इक राह संग... चलने के लिए...
बीत गए अब... न जाने कितने पल...
इक इक कर... हो गए ... ओझल...
पर...उस हर लम्हे की खुश्बू...बसती है..मुझमे..
कुछ ख़ुशी के...कुछ नाराजगी के..कुछ हंसते...कुछ रोते..
हम करीब और करीब... आते गए...यूँही.. मुस्कुराते..
परत दर परत.... उतरती रही..
तुम्हारी शख्सियत से..मैं रुबरु होती रही..
उन अनगिनत परतों...लम्हों के खुलने पर..
मिल गया मुझको...जिसकी थी खोज सदियों से..
तुम्हारा... वो अनछुआ एहसास...
और...प्यार से भीगा हुआ...
ख़ूबसूरत दिल...

..................................................'तरुणा'...!!!

Vo lamha... vo pal...
Yaad hai... aaj bhi mujhe...
Jab mile the... ham aur tum...
Ik raah sang ... chalne ke liye ...
Beet gaye ab ... na jaane kitne pal ..
Ik ik kar .. ho gaye ... ojhal ..
Par.. us har lamhe ki khushboo.. basti hai...mujhme..
Kuchh khushi ke..kuchh naraazgi ke.. kuchh hanste.. kuchh rote...
Ham.. kareeb aur kareeb... aate gaye.. yunhi..  muskuraate...
Parat dar parat ... utarti rahi...
Tumhari Shakshiyat se ... main rubaru hoti rahi...
Un anginat parton ... lamhon ke khulne par ...
Mil gaya mujhko .. jiski thi khoj sadiyon se...
Tumhara ... vo anchhua ehsaas....
Aur ... Pyaar se bheeega hua...
Khubsoorat Dil...

.......................................................'Taruna'...!!!



Monday, March 17, 2014

एक रात का सफ़र... !!!



रात ढलती रही ... शम्मा गलती रही ...
चांदनी अपने हाथों को... मलती रही ;

ठंडी सीली हवा मुझे... सहलाती रही....
साथ अपने तुझे .... पास लाती रही....
बारहा तू मुझसे ... गुज़रता रहा...
ख़ुद से दूर... और दूर .. मैं होती रही ;

चाँद तनहा सफ़र पे... यूँ चलता रहा....
रात भी साथ मेरे ... आज जलती रही..
खौफ़नाक अंधेरे फ़िर से ... घिरते रहे...
याद़ों की परछाई ... लम्बी होती रही ;

वक़्त बीत के भी अब तक... है बीता नहीं..
मर के कितनी दफ़ा ...  हूँ मैं जीती रही....
जीत के क्या मुझसे ... तू जीता कभी...
हार मेरी भी तुझपे... है हंसती रही ;

रात ढलती रही... शम्मा गलती रही...
चांदनी अपने हाथों को... मलती रही.. !!

...................................................'तरुणा'... !!!

Raat dhalti rahi ..... shamma galti rahi...
Chandni apne haathon ... ko malti rahi ;

Thandi sili hawa mujhe... sahlati rahi...
Saath apne tujhe ... paas laati rahi ...
Baarha too mujhse ... guzarta raha..
Khud se dur... aur dur.. main hoti rahi ;

Chaand tanha safar pe ... yun chalta raha..
Raat bhi saath mere .... aaj jalti rahi....
Khaufnaak andhere phir se... ghirte rahe...
Yaadon ki parchaayi ... lambi hoti rahi ;

Waqt beet ke bhi ab tak ... hai beeta nahi..
Mar ke kitni dafa ... hoon main jeeti rahi...
Jeet ke bhi kya mujhse .. tu jeeta kabhi..
Haar meri bhi tujhpe ... hai hansti rahi ;

Raat dhalti rahi ...... shamma galti rahi...
Chandni apne haathon ... ko malti rahi..!!

...........................................................'Taruna'.... !!!

वो रंग... !!!


दिन भर रंगों में .. रही तरबतर मैं....
मन फ़िर भी न जाने ... क्यूँ भीग न पाया..
यूँ तो सतरंगी हो गया .. था ज़िस्म मेरा..
मन कोरा ही रहा ... कोई रंग चढ़ न पाया ;

किसी झूठे रंगों की.... है ज़रुरत नहीं मुझको...
उसकी इक नज़र ने ही .. मेरा दिल है धड़काया..
है दूर बहुत वो मुझसे ... फ़िर भी पास खड़ा है..
न जाने कैसा उसने ...  है ये रंग छलकाया ;

कोई नशा न चढ़े है ... अब मुझ पर...
उसके वज़ूद का ही है ... बस ज़ादू छाया..
इंद्रधनुषी रंग भी फ़ीके ... पड़े उसके आगे...
हर होली पर है साथ .. बस वो इक सरमाया...!!

.................................................'तरुणा'....!!!

Din Bhar Rango Me ...  rahi  Tarbatar main...
Man Phir Bhi Jaane ... Kyun Bheeg Na Paaya
Yun To Satrangee Ho Gaya ... Tha Zism Mera..
Man Kora Hi Raha ... Koi Rang Chadh Na Paaya ;

Kisi jhoote rango ki  ... hai zaroorat nahi mujhko ...
Uski ik nazar ne hi ... mera dil hai dhadkaya...
Hai dur bahut vo mujhse .. phir bhi paas khada hai..
Na jaane kaisa usne ... hai ye rang  chhalkaya ;

Koi nasha na chadhe hai ... ab mujh par ..
Uske wajood ka hi hai ... bas Jadoo chhaya..
Indradhanushi rang bhi feeke .. pade uske aage...
Har Holi par hai saath ..  bas vo ik sarmaya .. !!


............................................................'Taruna'.....!!!

Wednesday, March 12, 2014

वो मरासिम...!!!




कल थे जो तेरे अपने ... उनकी फ़िकर तो रखना...
हो आज न वो दिल में..... थोड़ी ख़बर तो रखना ;

मिल जाए गर कहीं वो ... मुद्दत के बाद तुमको..
शिकवा न कोई करना ... तुम कुछ सबर तो रखना ;

फ़िज़ूल के मसलों का ... न जिक्र आए कोई...
सूखा वो शज़र है पर ... तुम इक समर तो रखना ;
(शज़र-पेड़... समर-फल)

रस्तें अलग हुए हो .... मंज़िल भी हो जुदा पर...
जब सिम्त एक ही है .. दुआ इक मगर तो रखना ;
(सिम्त-दिशा)

माना के घर सजा है... चटकीले चरागों से ...
स्याह अब्र जो घिर आए... रोशन डगर वो रखना ;

है वास्ता 'तरु' अब भी .. पहले के मरासिम का...
कुरबान ज़रुरत पे .... अपना ज़िगर तो रखना..!!
(मरासिम-रिश्ता)


...............................................................'तरुणा'...!!!



Kal the jo tere apne... unki fikar to rakhna...
Ho aaj na vo dil me .. thodi khabar to rakhna ;

Mil jaaye gar kahin vo.. muddat ke baad tumko..
Shiqwa na koi karna .. tum kuchh sabar to rakhna ;

Fizool ke maslon ka ...... na zikr aaye koi ...
Sookha vo shazar hai par ... tum ik samar to rakhna ;
(shazar-tree .. samar-fruit)

Raste alag huye ho .... manzil bhi ho juda pa ...
Jab simat ek hi hai ... dua ik magar to rakhna ;
(simat-direction)

Mana ke ghar saja hai ... chatkeele charaagon se ..
Syaah abr jo ghir aaye .. roshan dagar vo rakhna ;

Hai vaasta 'Taru' ab bhi ... pahle ke marasim ka ...
Qurbaan zaroorat pe ... apna jigar to rakhna .. !!

...........................................................................'Taruna'...!!!

Monday, March 10, 2014

पूरी उमर का रोग....!!!




आए वो रात .. ख्व़ाब... दिखा कर चले गए...
बुझते हुए शोलों को ... जला कर चले गए ;

दीदार की हसरत लिए मैं ... जागती रही...
पलकों पे आंसूओं को .. सजा कर चले गए ;

ग़ज़लें मुहब्बतों की मैं ... गाती रही दिल से ..
सितार-ए-ज़िस्म को वो .. बजा कर चले गए ;

तस्वीर उनकी मैं तो .. छुपाती रही सब से ...
अपना पता वो ख़ुद ही .. बता कर चले गए ;

क़तरा थी मैं .. साग़र मुझे .. उसने ही बनाया..
एहसान अपना मुझपे ... जता कर चले गए ;

माँगा था मुहब्बत भरा ... लम्हा बस एक ही...
पूरी उमर का रोग ... लगा कर चले गए ... !!


.........................................................'तरुणा'...!!!


Aaye vo raat ..khwaab ... dikha kar chale gaye..
Bujhte huye sholon ko ... jala kar chale gaye ;

Deedar ki hasrat liye main ..... jaagti rahi ..
Palkon pe aansuao ko ... saja kar chale gaye ;

Ghazalein muhabbato ki main .. gati rahi dil se..
Sitaar-e-zism ko vo ....  baja kar chale gaye ;

Tasveer unki main to .... chhupati rahi sab se..
Apna pata vo khud hi ... bata kar chale gaye ;

Qatra thi main..saagar mujhe ... usne hi banaya..
Ehsaan apna mujhpe .... jata kar chale gaye ;

Maanga tha muhabbat bhara .. lamha bas ek hi..
Poori uamar ka rog ..... laga kar cahle gaye ...!!



........................................................................'Taruna'...!!!





Saturday, March 8, 2014

रंग मेरी ज़िंदगी के.... !!!


औरत...
हाँ...मैं औरत हूँ...
भावना....समर्पण...प्यार....विश्वास..से बनी....
न जाने कितनी...खूबियों से गुनी....
हर तरफ़ मेरा ही...नूर है...फ़ैला हुआ...
हर बंधन...रिश्ता...बस मुझसे ही...गुथा हुआ....
हर ओर मेरी ही छाँव है.....मेरा ही उजाला है....
पर खुद से...मेरा बंधन...न कहीं जुड़ पाया है....
सब...निभाते...संभालते...हर कर्त्तव्य की वेदी में...जलते जलते....
मैं कहीं खुद की ही...राख़ में दबी पड़ी हूँ....
शायद अपना ही..अक्स अब तक...न देख सकी हूँ...
पर......................
अब नहीं होगा.......ये.........
ख़ुद ही की तस्वीर न...बेरंग होने दूँगी मैं....
अपने ख़्वाबो की ताबीर....खुद बनूंगी मैं....
अपनी निष्प्राण देह में...फिर प्राण भरूँगी मैं....
कुछ पल तो ज़िंदगी के....अब स्वयं के लिए जिऊंगी मैं.....
अपना मिलन...अपनी ही आकृति से....करवाऊंगी मैं...
क्यूंकि मैं हूँ...एक औरत.....
ख़ुद हूँ...रचनाकार.....
मैं ही तो हूँ...प्रकृति....सबसे निश्छल...कृति...
पहचानूंगी....अब खुद को....
जिऊंगी...मैं अपने को....
कुछ तो रंग दूँगी....ज़िंदगी को....
कुछ तो..........
.....................................................'तरुणा'......!!!

Aurat....
Haan...main aurat hoon.....
Bhaavna...samarpan...pyaar...vishvaas...se bani.....
Na jaane kitni....khoobiyon se guni.....
Har taraf mera hi noor hai...faila hua.....
Har bandhan...rishta...bas mujhse hi...gutha hua...
Har aur meri hi chaanv hai....mera hi ujaala hai...
Par khud se...mera bandhan...na kahin jud paaya hai....
Sab...nibhaatey...sambhaaltey...har karttvy ki vedi me...jaltey jaltey....
Main kahin khud ki hi...raakh me dabee padi hoon...
Shaayad apna hi..aks ab tak...na dekh saki hoon....
Par.............................
Ab nahi hoga...........ye....................
Khud ki tasveer ko na.....berang hone doongi main....
Apne khwaabo ki taabeer....khud banoogi main.....
Apni nishpraan deh me....phir praan bharoongi main....
Kuchh pal to zindgii ke....ab swayam ke liye jioongi main...
Apna milan...apni hi aakriti se....karvaaoongi main...
Kyunki main hoon....ek aurat.....
Khud hoon....rachnakaar.....
Main hi to hoon...Prakriti...sabse nishchhal Kriti....
Pahchaanoogi....ab khud ko...
Jioongi...main apne ko.....
Kuchh to rang doongi....zindgii ko....
Kuchh to.........
...................................................................'Taruna'.........!!!

Wednesday, March 5, 2014

दर्द भरी शाम...!!!



शाम आई तो ... सुहानी बन कर...
दे गई दर्द ..... निशानी बन कर ;

प्यार परवान नहीं ..  चढ़ पाया..
रह गई बात .. कहानी बन कर ;

नज़रे ख़ामोश हैं .. जुबां भी चुप..
साथ वो है ... पासबानी बन कर ;
(पासबानी-पहरेदारी)

नफ़रतों के लिए .. जगह न बची ..
प्यार बरसा है .. रब्बानी बन कर ;
(रब्बानी-अलौकिक)

ठहरे पानी की ... कोई बू  भी नहीं ..
बह चली हूँ मैं ... रवानी बन कर ;
(रवानी-प्रवाह)

देता है अब भी ... गवाही उसकी..
गुल वो सूखा सा .. जुबानी बन कर ;

आंसू जो बहते थे ... मेरी ख़ातिर ..
ख़त में रक्खे हैं .. निशानी बन कर ;

हाल पूछा जो उसका ... मैंने कभी..
चेहरा उभरा एक ... कहानी बन कर ;

कहरे-साग़र से न... डरी है 'तरु'...
साथ मौजें हैं .. बादबानी बन कर ..!!
(बादबानी-पोत)

...............................................'तरुणा'...!!!

Shaam aayi to .. suhaani ban kar..
De gayi dard ... nishani ban kar ;

Pyaar parwaan nahin .. chadh paya..
Rah gayi baat ... kahani ban kar ;

Nazrein khamosh hain..zuban bhi chup..
Saath vo hai .... paasbani ban kar ;
(paasbani-guarding)

Nafraton ke liye .. jagah na bachi..
Pyaar barsa hai... rabbani ban kar ;
(rabbani-divine)

Thahre paani ki ... koi boo bhi nahi..
Bah chali hun main .. rawani ban kar ;
(rawani-flow)

Deta hai ab bhi ... gawaahi uski...
Gul vo sukha sa.. zubaani ban kar ;

Aansoon jo bahete the .. meri khatir..
Khat me rakkhe hain.. nishani ban kar ;

haal uska jo poochha .. maine kabhi..
Chehra ubhra ek ... kahani ban kar ;

Kahar-e-saagar se .. na dari hai 'Taru'..
Sath maujein hain... baadbani ban kar..!!
(baadban-ship)

............................................................'Taruna'..!!!






Monday, March 3, 2014

आग़ाज़ और अंजाम....!!!


आग़ाज़ ये जब है अब मेरा ... अंज़ाम की परवाह कौन करे ...
इश्क़ में डूबी हूँ जबसे मैं ......  दुनिया को तबाह कौन करे  ;

प्यारे हैं दर्द सभी मुझको  ..... ज़ख्म लगे सब अपने से...
चोटें मुझको चुभती है नहीं .. तो उन पर कराह कौन करे  ;

अल्लाह की मुझपे इनायत है ... दर से न जाए कोई खाली ...
मंदिर जैसा मन पावन है ..... तो राहे-दरगाह कौन करे ;

सब लगते मुझे अपने जैसे .... नहीं अदू कोई अब मेरा है...
हर राह सजी है फूलों से .... मुझको गुमराह कौन करे  ;
(अदू-दुश्मन)

है नूरे-ख़ुदा मुझको हासिल .... ज़ादू इश्क़ का चढ़ा मुझपे...
दिल में हैं प्यार की बरसातें ... नफ़रत का गुनाह कौन करे  ;

हर बात मुहब्बत से बनती... अक्स उसका ही दिखता मुझको...
सब दोस्त खड़े हैं साथ मेरे .... दुश्मन से निबाह कौन करे ..!!


.................................................................................'तरुणा'...!!!


Aagaaz ye jab hai ab mera ... anjaam ki parvaah kaun kare ...
Ishq me doobi hoon jab main... Duniya ko tabaah kaun kare  ;

Pyaare hain dard sabhi mujhko ... Zakhm lage sab apne se...
Chotein mujhko chubhti hi nahi... to un par karaah kaun kare  ;

Allaah ki mujhpe inaayat hai ... dar se na jaaye koi khaali ..
Mandir jaisa man paawan hai ... to raah-e-dargaah kaun kare  ;

Sab lagte mujhe apne jaise ... nahi adu koi ab mera hai...
Har raah saji ab phoolon se .... mujhko gumraah kaun kare  ;
(adu-enemy)

Hai Noor-e-Khuda mujhko haasil .... Jadoo ishq ka chadha mujhpe..
Dil me hain pyaar ki barsaatein ..... nafrat ka gunaah kaun kare  ;

Har baat muhabbat se banti ... aks uska hi dikhta mujhko ...
Sab dost khade hain saath mere .. Dushman se nibaah kaun kare ..!!


............................................................................................... 'Taruna'...!!!







Saturday, March 1, 2014

बेमौसम की बारिश....!!!




इक तेरी निग़ाह से ही मेरी ... पूरी ज़िंदगी संवर गई...
तू फैला अब तो हर सू  है .. जहां-जहां भी नज़र गई ;

ये प्यार है मेरा तू सुन ले ... बेमौसम की बारिश नहीं...
कि उमड़ी घटा बड़ी ज़ोर से ... बरसी और गुज़र गई ;

मशहूर बड़ी हूँ अब तो मैं ... रुसवाई मेरी चारों तरफ़ा...
हर जुबां पे ज़िक्र मेरा ही है .. जहां-जहां भी ख़बर गई ;

क्या तेरा नाम लिया मैंने ... बस बात ज़रा सी की थी जो...
सारे गुल-औ-गुलशन में अब ... इक ख़ुश्बू सी बिखर गई ;

लिखने बैठी 'तरु' जब तुझको .. कुछ पता चला न वक़्त का...
शब बीती आँखों-आँखों में .....  और बातों में सहर गई... !!


......................................................................'तरुणा'....!!!


Ik teri nigaah se hi meri ... puri zindgi sanwar gayi...
Tu faila ab to har soo hai... jahan-jahan bhi nazar gayi ;

Ye pyaar hai mera tu sun le .. be-mausam ki baarish nahin..
Ki umadi ghata badi zor se ...... barsi aur guzar gayi  ;

Mash'hoor badi hun ab to main .. ruswaayi meri charon tarfa ..
Har zubaan pe zikr mera hi hai... jahan-jahan bhi khabar gayi ;

Kya tera naam liya maine ..... bas baat jara si ki thi jo....
Saare gul-au-gulshan me ab ... ik khushboo si bikhar gayi ;

Likhne baithi 'Taru' jab tujhko .. kuchh pata chala na waqt ka..
Shab biti aankhon-aankhon me .... aur baaton me sahar gayi..!!


.....................................................................................'Taruna'...!!!