Thursday, July 14, 2016

मेरा हमदम...!!!


हमदम मेरा इतना भी तो मग़रूर नहीं है...
झुक जाये मेरा सर उसे मंज़ूर नहीं है ;
.
तुम प्यार के बदले न मुझे प्यार दो लेकिन...
नफ़रत भी मगर देने का दस्तूर नहीं है ;
.
महसूर मुहब्बत में तो हर पल हूँ मैं उसकी...
वो दूर भी है मुझसे कभी दूर नहीं है ;
(महसूर-घेरे में )
.
हाँ इश्क़ में दिन रात मेरा दिल तो जला पर..
दिल पर मेरे छाला तो है नासूर नहीं है ;
.
कुछ और मुझे उसके सिवा याद कहाँ अब...
तारी है नशा प्यार का काफ़ूर नहीं है ;
.
रुसवाईयां दे दीं हैं मुझे इश्क़ ने कितनी..
अब कौन कहे तरुणातू मशहूर नहीं है..!!
.
...................................................'तरुणा'..!!!




No comments: