बात बरसों से जो सुनानी थी ..
हाँ वही तो मेरी कहानी थी ;
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एक राजा था एक रानी थी...
प्यार की रस्म भी निभानी थी ;
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जिस मुहब्बत के दम पे ज़िन्दा
हूँ..
बस फ़कत बात वो बतानी थी ;
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उसमे गहराई का समंदर था ...
हाँ मगर दरिया सी रवानी थी ;
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बूँद सावन से मिल गई जैसे..
आँख में इक यही निशानी थी ;
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ताज़गी रुख़ पे थी अजब उसके....
वैसे तस्वीर तो पुरानी थी ;
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मेरी साँसें महक उठीं इक दम..
क्या वहाँ कोई रात रानी थी ;
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रंग जो भर गयी है 'तरुणा' में...
हाय कैसी अजब जवानी थी...!!
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...................................'तरुणा'...!!!
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