Wednesday, April 6, 2016

हँसी जाती नहीं ...!!!


अश्क़ टपकें लाख होंटों की हँसी जाती नहीं ...
आज़माया तो है गम ने पर ख़ुशी जाती नहीं ;
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उसकी हर नेमत पे नाशुक्री किये जाते हैं हम ...
ज़ेहन में ईमां है दिल की काफ़िरी जाती नहीं ;
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आजकल माहौल में भी राम जाने क्या घुला...
अब हवा की जाने क्यूँ आवारगी जाती नहीं ;
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इक कसक कम हो गई तो दूसरी आ जाएगी...
इन सहारों की वजह से शायरी जाती नहीं ;
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नाम पर मय के न जाने क्या पिलाया है मुझे...
होश में रहते हुए भी बेख़ुदी जाती नहीं ;
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क्या बतायें हम कि साहब रोशनी के वास्ते..
घर जलाया खुद जले हैं तीरगी जाती नहीं ;
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बेवफ़ा ने हर कदम पे हमको धोखे तो दिए...
हम भी जिद्दी हैं ग़ज़ब के आशिक़ी जाती नहीं ;
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गालियाँ दो-चार बदले में न दे पाई कभी..
हूँ मैं सादादिल या मेरी बुजदिली जाती नहीं ;
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फ़ख्र है मुझको तो ‘तरुणा’ दुश्मनी पर दोस्त की..
दुश्मनी इतनी बढ़ी पर दोस्ती जाती नहीं ...!!
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...............................................................’तरुणा’....!!!




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