Friday, May 13, 2016

कहाँ कहाँ....!!!



भटकें हैं आपके लिए तन्हा कहाँ कहाँ..
पूछो न हमने आपको ढूँढा कहाँ कहाँ ;
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दिल तोड़ने के बाद फिर आकर तो देखते...
छाले कहाँ हैं और है पीड़ा कहाँ कहाँ ;
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आंखों में कल्पना में कभी दिल के सहन में.. ..
हरजाई सा लगा है वो आया कहाँ कहाँ ;
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छाया तो था सुलगती फ़ज़ाओं में वो मगर..
मालूम ही न हो सका बरसा कहाँ कहाँ ;
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डरते रही हमेशा बताने से दिल के राज़...
मेरे दयारे दिल में वो उतरा कहाँ कहाँ ;
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तरुणावो दोस्त था मेरा प्यारा भी था मगर ..
काटा उसी ने ही मेरा पत्ता कहाँ कहाँ ..!!
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................................................'तरुणा'...!!!


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