Sunday, February 28, 2016

इश्क़ की लौ..!!!



इश्क़ की लौ को ज़रा दिल से लगा कर देखो...
चाँद पहलू में बिछा होगा बुलाकर देखो ;
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बात यूँ तो तेरी कड़वी भी भली लगती है...
चाशनी अपनी जुबां में तो मिलाकर देखो ;
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याद से मेरी अगर कोई ख़लल पड़ता है..
याद को मेरी ज़रा दिल से भुला कर देखो ;
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तुम जो कहते हो हमें इश्क़ में पागल हैं हम..
इश्क़ को दिल पे कभी ख़ुद के सजाकर देखो ;
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बात छोटी सी सही कहना इशारे ही में..
फ़ैल जाएगी इसे लब पे न लाकर देखो ;
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तुम न सूरज के भरोसे पे यूँ बैठो शब भर ...
है अँधेरा तो कोई दीप जला कर देखो ..!!

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.....................................................'तरुणा'...!!!


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