अक्स
अपना ही ख़ुद से ख़फा देखकर ...
लापता
ख़ुद हूँ ये माज़रा देखकर ;
.
भूल
अपनी किसी को न आई नज़र ...
ख़ुश
हैं सब दूसरों की ख़ता देखकर ;
.
बज़्म
से फिर भला कैसे जाते बता..
जम
गए ज़िक्र तेरा छिड़ा देखकर ;
.
बात
दिल की दबी की दबी रह गई ..
रंग
चेहरे का बदला हुआ देखकर ;
.
दुश्मनों
से नही अब कोई भी गिला..
दोस्तों
ने जो दी वो दगा देखकर ;
.
कल
तलक तो हमारे शनासा थे वो...
आज
बदले हैं बदली हवा देखकर ;
.
प्यार
पर जान हम भी छिड़कते सनम...
बात
बिगड़ी तुम्हारी अना देखकर ;
.
साफ़
कह दो छुपाओ न क्या बात है ..
हम भी
उलझे तुम्हे रूठता देखकर ;
.
................................................'तरुणा'...!!!
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