Saturday, February 20, 2016

इश्क़ की आदत बाक़ी है..!!!


इतनी तो इनायत बाक़ी है ..
क़िरदार में रंगत बाक़ी है ;
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दुनिया ने सब कुछ लूट लिया...
तेरे इश्क़ की दौलत बाक़ी है ;
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गर पाप करो तो सोचो भी ..
उसकी भी अदालत बाक़ी है ;
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हैं ज़ीस्त बची ये आधी पर..
कुछ और मसाफ़त बाक़ी है ;

(मसाफ़त-सफ़र/ journey )
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कुछ और हवादिस आयेंगे..
हाँ और अज़ीयत बाक़ी है ;

(हवादिस–हादसे,अज़ीयत- यातना)
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वो हाथ नहीं फैला पायी...
लगता है ग़ैरत बाक़ी है ;
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फिर आज बुलाया है मुझको...
कुछ और फ़जीहत बाक़ी है ;
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ठुकराया उसे बरसों बीते ..
अब भी वो नदामत बाक़ी है ;

(नदामत-पछतावा/ regret)
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सब कुछ तो पीछे छूट गया...
बस इश्क़ की आदत बाक़ी है ..!!
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....................................'तरुणा'...!!!



1 comment:

Unknown said...

बहुत उम्दा दीदी ।