Thursday, October 29, 2015

नेमत प्यार की... !!!



प्यार नेमत है ये आज़ार नहीं होता है...
वो इबादत है जो बेकार नहीं होता है ;
(आज़ार- रोग/व्यसन)
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लोग मतलब के लिए रिश्ता बनाते क्यों हैं ...
प्यार के रिश्तों में व्यापार नहीं होता है ;
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आज तो टूट के बिखरूं मैं तेरे दामन में..
और अब मुझसे इंतज़ार नहीं होता है ;
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गरचे हम याद न करते हैं कभी भी उनको...
दिल भुलाने को भी तैयार नहीं होता है ;
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हाथ पकड़े और बातें सभी मनवा ले...
हर किसी को तो ये अधिकार नहीं होता है ;
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रोशनी-रंग मयस्सर है अमीरों को बस....
मुफलिसों के यहाँ त्योहार नहीं होता है ;
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इश्क़ हर एक के बस की है कहाँ बात सुनो ..
डूब के गर न किया पार नहीं होता है ;
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आदमी चाहे तो आकाश उठा ले सर पर...
काम तो कोई भी दुश्वार नहीं होता है ..!!
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.......................................................'तरुणा'...!!!
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Pyaar nemat hai ye aazar nahi hota hai ..
Wo  ibadat hai jo bekaar nahi hota hai ;
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Log matlab ke liye rishta banate kyon hain ..
Pyaar ke rishton me vyapaar nahi hota hai ;
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Aaj to toot ke bikharun main tere daman me..
Aur ab mujhse intzaar nahi hota hai ;
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Garche ham yaad na karte hain kabhi bhi unko..
Dil bhulane ko bhi taiyaar nahi hota hai ;
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Haath pakde aur baatein  sabhi manwa le..
Har kisi ko  ye adhikaar nahi hota hai ;
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Roshni-rang mayassar hain ameeron ko bas...
Muflison ke yahan tyohaar nahi hota hai ;
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Ishq har ek ke bas ki hai kahan baat suno..
Doob ke gar na kiya paar nahi hota hai ;
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Aadmi chaahe to aakaash utha le sar par..
Kaam  to koi bhi dushwaar nahi hota hai ..!!
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.................................................................'Taruna'...!!!

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