दिल
पे दस्तक हुई अजनबी दोस्तों...
छा
गई सर-ओ-पा तक ख़ुशी दोस्तों ;
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इश्क़
में नाम पहुंचा फ़लक तक मेरा..
अब
सितारों सी है ज़िंदगी दोस्तों ;
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सब
समझते रहे आँख में कुछ पड़ा...
मैं
छुपाती रही इक नदी दोस्तों ;
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बज़्म
में हर किसी की थी शिरक़त मगर...
दिल
को खलती थी उसकी कमी दोस्तों ;
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उम्र
भर रोशनी हम लुटाते रहे..
फिर
भी कितनी रही तीरगी दोस्तों ;
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घर
से बाहर ज़रा सा जो निकले हैं हम..
साथ
भटकी है आवारगी दोस्तों ;
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आज
बादल को खुल के बरसने तो दो..
बढ़
गई हद से अब तिश्नगी दोस्तों..!!
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.....................................................'तरुणा'....!!!
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Dil pe dastak huyi ajnabee doston ..
Chha gayi sar-o-paa tak khushi doston ;
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Ishq me naam pahuncha falak tak mera ..
Ab sitaron si hai zindgi doston ;
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Sab samajhte rahe aankh me kuchh pada...
Main chhupaati rahi ik nadi doston ;
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Bazm me har kisi ki thi shirqat magar....
Dil ko khalti thi uski kami
doston ;
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Umr bhar roshni ham lutaate rahe...
Phir bhi kitni rahi teergi doston ;
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Ghar se baahar zara sa jo nikale hain ham..
Saath bhatki hai aawargi doston ;
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Aaj badal ko khul ke barasne to do..
Badh gayi had se ab tishnagi doston...!!
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……………………………………………………………….’Taruna’…!!!
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