मिटा
दीजिये या बना दीजिये...
मुहब्बत
का वादा निभा दीजिये ;
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मदद
हर कोई तो करेगा नहीं ..
सुने
जो उसी को सदा दीजिये ;
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दिलासों
से अब काम चलता नहीं ...
मुलाक़ात
का सिलसिला दीजिये ;
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तलाशी
तो लेने दें अपनी ज़रा...
मेरा
दिल है खोया पता दीजिये ;
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बहुत
सुन चुके राग़ मल्हार हम....
कभी धड़कनें भी सुना दीजिये ;
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ख़तावार
हूँ जुर्मे-उल्फ़त हुआ..
सज़ा
दीजिये बस सज़ा दीजिये ;
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चरागों की कोई
ज़रूरत कहाँ...
निग़ाहों
को अपनी उठा दीजिये ;
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कड़ी
धूप है इक शज़र तक नहीं..
तो
आँचल उड़ाकर हवा दीजिये ;
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दवा-दारु
से रोग होगा न ठीक ..
दुआ
कीजिये हौसला दीजिये ;
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..............................................’तरुणा’...!!!
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Mita deejiye ya bana deejiye...
Muhabbat ka wada nibha deejiye ;
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Madad har koi to karega nahi ..
Sune jo usee ko sada deejiye ;
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Dilaason se ab kaam chalta nahi ..
Mulaqaat ka silsila deejiye ;
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Talashi to lene den apni zara..
Mera dil hai khoya pata deejiye ;
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Bahut sun chuke raag malhaar ham..
Kabhi dhadkane bhi suna deejiye ;
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Khatawaar hun jurm-e-ulfat hua...
Saza deejiye bas saza deejiye ;
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Charagon ki koi jaroorat kahan..
Nigaahon ko apni utha deejiye ;
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Kadi dhoop hai ik shazar tak nahi...
To aanchal udaakar hawa deejiye ;
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Dawa-daaru se rog hoga na theek...
Dua keejiye hausla deejiye .....!!
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..............................................'Taruna'....
!!!
1 comment:
बहुत अच्छा लगा।
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