प्यार
नेमत है ये आज़ार नहीं होता है...
वो इबादत है जो बेकार नहीं होता है ;
(आज़ार- रोग/व्यसन)
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लोग
मतलब के लिए रिश्ता बनाते क्यों हैं ...
प्यार
के रिश्तों में व्यापार नहीं होता है ;
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आज
तो टूट के बिखरूं मैं तेरे दामन में..
और
अब मुझसे इंतज़ार नहीं होता है ;
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गरचे
हम याद न करते हैं कभी भी उनको...
दिल
भुलाने को भी तैयार नहीं होता है ;
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हाथ
पकड़े और बातें सभी मनवा ले...
हर
किसी को तो ये अधिकार नहीं होता है ;
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रोशनी-रंग
मयस्सर है अमीरों को बस....
मुफलिसों
के यहाँ त्योहार नहीं होता है ;
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इश्क़
हर एक के बस की है कहाँ बात सुनो ..
डूब के गर न किया पार नहीं होता है ;
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आदमी
चाहे तो आकाश उठा ले सर पर...
काम
तो कोई भी दुश्वार नहीं होता है ..!!
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.......................................................'तरुणा'...!!!
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Pyaar nemat hai ye aazar nahi hota hai ..
Wo ibadat hai jo bekaar nahi hota hai ;
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Log matlab ke liye rishta banate kyon hain ..
Pyaar ke rishton me vyapaar nahi hota hai ;
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Aaj to toot ke bikharun main tere daman me..
Aur ab mujhse intzaar nahi hota hai ;
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Garche ham yaad na karte hain kabhi bhi unko..
Dil bhulane ko bhi taiyaar nahi hota hai ;
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Haath pakde aur baatein sabhi manwa le..
Har kisi ko ye adhikaar
nahi hota hai ;
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Roshni-rang mayassar hain ameeron ko bas...
Muflison ke yahan tyohaar nahi hota hai ;
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Ishq har ek ke bas ki hai kahan baat suno..
Doob ke gar na kiya paar nahi hota hai ;
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Aadmi chaahe to aakaash utha le sar par..
Kaam to koi bhi dushwaar
nahi hota hai ..!!
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.................................................................'Taruna'...!!!