Thursday, August 6, 2015

दिल नवाबी... !!!


उनकी निग़ाहें मस्त से , मौसम शराबी हो गया...
सारा चमन ही अब यहाँ , फिर से गुलाबी हो गया ;
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कैसा हुआ मुझपे असर ,  मैं तो ठगी सी रह गई ..
पल भर में मेरा दिल गया ,  क़िस्सा किताबी हो गया ;
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मेरी कहाँ सुनता है दिल ,  मर्जी इसी की अब चले ..
बस में हुई उनके ज़रा ,  ये भी नवाबी हो गया ;
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मिल जो गए मुझसे कहीं ,  मैं उनसे पूछूंगी यही ..
बेहाल मुझको क्यूँ किया , सब कुछ जवाबी हो गया ;
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जब सामने वो आ गए ,  घबरा गई मैं शर्म से ..
मुंह से न बोली मैं मगर ,  चेहरा हिजाबी हो गया ;
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तारीफ़ जिसने की नहीं ,  अपनी जुबां से थी कभी ..
कहने लगें हैं , हुस्न अब मेरा ख़िताबी हो गया ;

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.......................................................................'तरुणा'...!!!
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Unki nigaahein mast se , mausam gulaabi ho gaya..
Sara chaman hi ab yahan , phir se gulaabi ho gaya ;
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Kaisa hua mujhpe asar , main to thagi si rah gayi..
Pal bhar me mera dil gaya , kissa kitaabi ho gaya ;
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Meri kahan sunta hai dil , marzi isee ki ab chale ..
Bas me huyi unke zara , ye  bhi nawabi ho gaya ;
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Mil jo gaye mujhse kahin , main unse poochhungi yahi ..
Behaal mujhko kyun kiya , sab kuchh jawabi ho gaya ;
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Jab saamne wo aa gaye , ghabra gayi main sharm se ...
Munh se na boli main magar , chehra hijaabi ho gaya ;
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Taareef jisne ki nahi  , apni jubaan se thi kabhi ..
Kahne lage hain , husn ab ,  mera khitaabi ho gaya ..!!

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.................................................................................'Taruna'..!!!


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