उनकी
निग़ाहें मस्त से ,
मौसम
शराबी हो गया...
सारा
चमन ही अब यहाँ , फिर से गुलाबी हो गया ;
.
कैसा
हुआ मुझपे असर , मैं तो ठगी सी रह गई ..
पल
भर में मेरा दिल गया , क़िस्सा किताबी हो गया ;
.
मेरी
कहाँ सुनता है दिल ,
मर्जी इसी की अब चले ..
बस
में हुई उनके ज़रा ,
ये भी नवाबी हो गया ;
.
मिल
जो गए मुझसे कहीं ,
मैं उनसे पूछूंगी यही ..
बेहाल
मुझको क्यूँ किया ,
सब
कुछ जवाबी हो गया ;
.
जब
सामने वो आ गए , घबरा गई मैं शर्म से ..
मुंह
से न बोली मैं मगर ,
चेहरा हिजाबी हो गया ;
.
तारीफ़
जिसने की नहीं , अपनी जुबां से थी कभी ..
कहने
लगें हैं , हुस्न अब ,
मेरा
ख़िताबी हो गया ;
.
.......................................................................'तरुणा'...!!!
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Unki
nigaahein mast se , mausam gulaabi ho gaya..
Sara
chaman hi ab yahan , phir se gulaabi ho gaya ;
.
Kaisa hua
mujhpe asar , main to thagi si rah gayi..
Pal bhar
me mera dil gaya , kissa kitaabi ho gaya ;
.
Meri
kahan sunta hai dil , marzi isee ki ab chale ..
Bas me
huyi unke zara , ye bhi nawabi ho gaya ;
.
Mil jo
gaye mujhse kahin , main unse poochhungi yahi ..
Behaal
mujhko kyun kiya , sab kuchh jawabi ho gaya ;
.
Jab
saamne wo aa gaye , ghabra gayi main sharm se ...
Munh se
na boli main magar , chehra hijaabi ho gaya ;
.
Taareef
jisne ki nahi , apni jubaan se thi kabhi
..
Kahne
lage hain , husn ab , mera khitaabi ho
gaya ..!!
.
.................................................................................'Taruna'..!!!
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