मौन
है धरती गगन , सारे सितारे मौन हैं ..
चुप
हुई क्यूँकर जुबां ,
क्यूँ
हर नज़ारे मौन हैं ;
.
दूर
तक फैला हुआ मातम ,
बरसता
ही रहा ...
रक्स
ख़ुशियों के मगर , सारे के सारे मौन हैं ;
.
ज़िंदगी
की धूप क्या कुछ , छीन के लेती गई ..
छाँव
जिनके दम पे थी , वो सब सहारे मौन हैं ;
.
क़त्ल
सूरज का हुआ , आई जिबह की रात जब ...
दी
गवाही भी नहीं बस ,
चांद
- तारे मौन हैं ;
.
सच
अगर आसान होता , कह न देता हर कोई ...
झूठ
का है दबदबा , सब डर के मारे मौन हैं ;
.
फ़िक्र
करनी थी जिन्हें ,
वो
हुक्मरां ख़ामोश थे ..
पिस
गए मजलूम अब तक , वो बिचारे मौन हैं ;
.
था
कलम का कुछ सहारा ,
एक
शोला तो जले ..
आंधियाँ
हैं तेज इतनी , वो शरारे मौन हैं ;
.
हुस्न
की झूठी चमक में ,
इश्क़
भी उलझा रहा...
दीन-दुनिया
की किसे परवाह , सारे मौन हैं ;
.
डूबना
तो लाज़मी है , दस्त-ओ-पा मारे न जब...
क्या
मदद करते भला , नदिया के धारे मौन हैं ;
(दस्त-ओ-पा/हाथ पैर )
.
वादियाँ
कश्मीर की , बंदूक की बंधक बनी ...
रो
पड़ी है झील डल , उजड़े शिकारे मौन हैं ;
.
...............................................................'तरुणा'...!!!
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Maun hai
dharti gagan , saare sitaare maun hain
...
Chup huyi
kyunkar jubaan , kyun har nazare maun hain ;
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Door tak
faila hua maatam , barasta hi raha ..
Raks
khushiyon ke magar , saare ke saare maun hain ;
.
Qatl
sooraj ka hua , aayi jibah ki raat jab
...
Di gawahi
bhi nahi bas , chaand-taare maun hain ;
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Sach agar
aasaan hota , kah na deta har koi ...
Jhooth ka
hai dabdaba , sab dar ke maare maun hain ;
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Fiqr
karni thi jinhe , wo hukmraan khamosh
the ..
Pis gaye
majloom ab tak , wo bichaare maun hain ;
.
Tha kalam
ka kuchh sahara , ek shola to jale ..
Aandhiyaan
hain tez itni , wo sharaare maun hain ;
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Husn ki
jhoothi chamak me , ishq bhi uljha raha ..
Deen-duniya
ki kisey parvaah , saare maun hain ;
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Doobna to
laazmi hai , dast-o-paa maare na jab ..
Kya madad
karte bhala , nadiya ke dhaare maun hain ;
.
Waadiyan
kashmeer ki , bandook ki bandhak bani ...
Ro padi
hai jheel dal , ujade shikaare maun hain..!!
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.................................................................................'Taruna'..!!!
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