Friday, July 31, 2015

सोचना क्या .. !!!


कभी सोचा नहीं तुमने ,  किसी इल्ज़ाम से पहले...
ख़ुलासे हो चुके थे सब ,  तेरे इल्हाम से पहले ;
(इल्हाम- ख़ुलासे/revelation)
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गुनाहे-इश्क़ करना था , हमें हर काम से पहले..
भला फिर सोचना था क्यूं , किसी अंजाम से पहले ;
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बुरा था हाल मेरा भी ,  निगाहें थीं बड़ी कातर...
बहुत बेचैनियाँ थी उस , तेरे पैग़ाम से पहले ;
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तबाही क्यूँ मचाई है , निकलते सोच कर तो तुम..
कि चेहरा तो ढका होता , यूँ कत्लेआम से पहले ;
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अभी तो रात है बाक़ी ,  अभी जाते कहाँ पर हो ...
अगर जाना ही था तुमको ,  तो जाते शाम से पहले ;
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न पैरों में पड़ा छाला ,  थकी भी हूँ नहीं अब तक...
ज़रा तय रास्ता , मैं कर तो लूँ  आराम से पहले ;
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ख़बर मुझको नहीं है के ,  नशा कैसे हुआ था ये ..
निगाहों में तो झाँका  था , बहकते गाम से पहले ..!!
(गाम-कदम/step)
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...................................................................... 'तरुणा'... !!!
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Kabhi socha nahi tumne , kisi ilzaam se pahle ..
Khulaase ho chuke the sab , tere ilhaam se pahle ;
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Gunaah-e-ishq karna tha , hame har kaam se pahle ..
Bhala phir sochna tha kyun , kisi anjaam se pahle ;
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Bura tha haal mera bhi , nigaahein thi badi kaatar ..
Bahut bechainiyaa thi us , tere paigaam se pahle ;
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Tabaahi kyun machayi hai , nikalte soch kar to tum ..
Ki chehra to dhaka hota , yun qatl-e-aam se pahle ;
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Abhi to raat baaki hai , abhi jaate kahan par ho ..
Agar jana hi tha tumko , to jaate shaam se pahle ;
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Na pairo me pada chhala , thaki bhi hun nahi ab tak ..
Jara tay raasta , main kar to lun aaraam se pahle ;
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Khabar mujhko nahi hai ke , nasha kaise hua tha ye ..
Nigaahon me to jhhanka tha , behakte gaam se pahle ..!!
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.................................................................................'Taruna'...!!!


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