कभी
सोचा नहीं तुमने ,
किसी इल्ज़ाम से पहले...
ख़ुलासे
हो चुके थे सब , तेरे इल्हाम से पहले ;
(इल्हाम- ख़ुलासे/revelation)
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गुनाहे-इश्क़
करना था , हमें हर काम से पहले..
भला
फिर सोचना था क्यूं , किसी
अंजाम से पहले ;
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बुरा
था हाल मेरा भी , निगाहें थीं बड़ी कातर...
बहुत
बेचैनियाँ थी उस ,
तेरे
पैग़ाम से पहले ;
.
तबाही
क्यूँ मचाई है , निकलते सोच कर तो तुम..
कि
चेहरा तो ढका होता ,
यूँ
कत्लेआम से पहले ;
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अभी
तो रात है बाक़ी , अभी जाते कहाँ पर हो ...
अगर
जाना ही था तुमको , तो जाते शाम से पहले ;
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न
पैरों में पड़ा छाला , थकी भी हूँ नहीं अब तक...
ज़रा तय रास्ता , मैं कर तो लूँ आराम से पहले ;
.
ख़बर
मुझको नहीं है के , नशा कैसे हुआ था ये ..
निगाहों
में तो झाँका था , बहकते गाम से पहले ..!!
(गाम-कदम/step)
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'तरुणा'... !!!
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Kabhi
socha nahi tumne , kisi ilzaam se pahle ..
Khulaase
ho chuke the sab , tere ilhaam se pahle ;
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Gunaah-e-ishq
karna tha , hame har kaam se pahle ..
Bhala
phir sochna tha kyun , kisi anjaam se pahle ;
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Bura tha
haal mera bhi , nigaahein thi badi kaatar ..
Bahut
bechainiyaa thi us , tere paigaam se pahle ;
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Tabaahi
kyun machayi hai , nikalte soch kar to tum ..
Ki chehra
to dhaka hota , yun qatl-e-aam se pahle ;
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Abhi to
raat baaki hai , abhi jaate kahan par ho ..
Agar jana
hi tha tumko , to jaate shaam se pahle ;
.
Na pairo
me pada chhala , thaki bhi hun nahi ab tak ..
Jara tay raasta , main kar to lun aaraam se pahle ;
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Khabar
mujhko nahi hai ke , nasha kaise hua tha ye ..
Nigaahon
me to jhhanka tha , behakte gaam se pahle ..!!
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.................................................................................'Taruna'...!!!
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