ज़िंदगी
से पूछिये मत क़र्ज़ है कितना मिला ...
मुश्किलों
के बीच से ही जीने का रस्ता मिला ;
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यूँ
परख की दोस्तों की हमने इतनी भीड़ में ...
जो
रहा नज़दीक उससे ज़ख्म भी गहरा मिला ;
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खा
गए धोखे पे धोखा शक्ल थी मासूम सी..
सामने
कुछ और था पीछे अलग चेहरा मिला ;
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यूँ
सराबों का बनी मज्मा हमारी ज़िंदगी...
बारिशों
की ख्वाहिशें थी आग का दरिया मिला ;
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मर
रहे थे बिलबिला के भूख से मजलूम जब...
हुक्मरां
खामोश थे और हर जगह ताला मिला ;
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रौनके
क़ायम थीं उनसे बज़्म में आते थे जब...
बात
जाने क्या हुई उस हुस्न पे पहरा मिला ;
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ये
अजब दस्तूर दुनिया में मिला क्यूँ हर जगह...
जो
भला जितना ही ज्यादा है वही तन्हा मिला ;
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मुफलिसों
के चीखने के दर्द से आया समझ ..
ईश
ही पत्थर नहीं अल्लाह भी बहरा मिला ;
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शह्र
अपना था कभी अब अजनबी लगता मुझे ...
बाद
तेरे कोई भी मुझको नहीं तुझसा मिला..!!
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..................................................................'तरुणा'...!!!
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Zindgi se poochhiye mat karz hai kitna mila ..
Mushqilon ke beech se hi
jeene ka rasta mila ;
Yun parakh ki doston ki
hamne itni bheed me..
Jo raha najdeek us'sey
zakhm bhi gehra mila ;
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Kha gaye dhokhe pe dhokha
shakl thi maasoom si..
Saamne kuchh aur tha
peechhe alag chehra mila ;
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Yun sarabon ka bani majma
hamari zindgi ..
Baarishon ki khwaahishein thi
aag ka dariya mila ;
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Mar rahe the bilbila ke
bhookh se majloom jab..
Hukmraan khamosh the aur
har jagah taala mila ;
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Raunqein qaayam thi unse
bazm me aate the jab..
Baat jaane kya huyi us husn
pe pehra mila ;
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Ye ajab dastoor duniya me mia
kyun har dafa..
Jo bhala jitna hi zyada hai
vahi tanha mila ;
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Sar patakte rahe barson
usee chaukhat pe ham..
Ish bhi pat'thar hi tha
Allaah bhi behra mila ;
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Shehr apna tha kabhi ab
ajnabee lagta mujhe..
Baad tere koi bhi mujhko nahi
tujhsa mila ..!!
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........................................................................'Taruna'...!!!
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