Sunday, August 30, 2015

मुकद्दस इश्क़ .. !!!


मत लिबासों से परखियेगा किसी मेहमान को ..
आप ठुकरा ही न दें , शायद कभी भगवान को ;
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मुश्किलों के दौर में , जिस शख्स ने की हो मदद ..
भूलियेगा मत कभी उस , दोस्त के अहसान को ;
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नासमझ बनता रहा , लफ्जों-नज़र से , जो मेरी ...
रोज़ ख़त लिखते रहे , हम भी , उसी नादान को ;
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रेशमी कपड़ों मुकल्लफ़ ज़ेवरों में , जो दबे...
ज़िंदगी अब भी पुकारे उन घुटे अरमान को ;
(मुकल्लफ़-कीमती/costly)
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बढ़ गया रुतबा हमारा दौलतो-असबाब से ....
बस ग़नीमत है यही भूले नहीं ईमान को ;
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वो मुकद्दस इश्क़ मेरा दर्द बनकर रह गया...
पास दिल के रख लिया , उस  कीमती सामान को ;
(मुकद्दस- पवित्र/ Pure)
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सांस में अब भी समाई , है उसी की जो महक...
हर जगह पर ढूंढ़ते हैं बस उसी पहचान को ;
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जी यही करता हमारा , छोड़ कर इस महल को..
ख़ोज लायें उस पुराने टूटते दालान को ;
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इंतिहा ये भी हुई है , प्यार में अक्सर कि हम ...
मौन रहकर मान लेतें हैं , सभी फरमान को ..!!
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.....................................................................'तरुणा'...!!!

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Mat libaason se parkhiyega , kisi mehmaan ko ...
Aap thukra hi na den , shyada kahin Bhafwaan ko ;
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Mushkilon ke daur me , jis shakhs ne ki ho madad...
Bhooliyega mat kabhi us , dost ke ehsaan ko ;
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Nasamajh banta raha , lafz-o-nazar se jo meri ..
Roz khat likhte rahe , ham bhi usee nadaan ko ;
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Reshmi kapdon , muqallaf zeveron me jo dabe ...
Zindgi ab bhi pukaare , un ghute armaan ko ;
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Badh gaya rutba hamara , daulat-o-asbaab se ..
Bas ganeemat hai yahi , bhule nahi imaan ko ;
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Wo mukaddas ishq mera , dard bankar rah gaya ..
Paas dil ke rakh liya us , keemati saaman ko ;
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Saans me ab bhi samayi hai , usee ki jo mehak ...
Har jagah par dhoondhte hain , bas usee pehchaan ko ;
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Jee yahi karta hamara , chhod kar is mahal ko ...
Khoj Laaye us puraane , toot'te dalaan ko ;
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Intihaan ye bhi huyi hai , pyaar me aksar ki ham ..
Maun rahkar maan lete hain , sabhi farmaan ko ..!!
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...........................................................................'Taruna'...!!!

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