हमेशा
वो नहीं मिलता , जिसे तू मांग आता है ..
ख़ुदा
का ही करिश्मा है,
यहाँ
तू जो भी पाता है ;
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अकड़
के मत चलो धरती पे ,
दिन
यूँ भी बदलते हैं....
हुआ
करता था जो राजा ,
वो
अब दर-दर पे जाता है ;
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बड़े
ऊंचे महल थे जो , मिले है धूल में पल में...
ये
दर्पण वक़्त का भी अक्स ,कब
कैसा बनाता है ;
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बिछायें
लाख कांटे वो , खिलें तो गुल हमेशा ही ...
मेरी
इस साफ़ नीयत से , अदू भी खौफ़ खाता है ;
(अदू-दुश्मन/enemy )
.
बुरा
हो जब समय थोड़ा , ज़रा सा धैर्य तो रख लो....
यही
पहचान तो अपने , परायों की कराता है ;
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मिले
हम ख्व़ाब में जबसे , असर
ऐसा हुआ तबसे...
दिलों
का दर्द अब मिलकर ,
ख़ुशी
से गीत गाता है ;
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गिरे
सब ज़र्द पत्ते गर .... शज़र फिर से हरा होगा ..
पुराना
जाएगा मौसम .. नया तब ही तो आता है ;
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............................................................................'तरुणा'...!!!
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Hamesha
wo nahi milta , jisey tu maang aata hai ...
Khuda ka
hi karishma hai , yahan tu jo bhi pata hai ;
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Akad ke
mat chalo dharti pe , din yun bhi badalte hain ..
Hua karta
tha jo raja , wo ab dar-dar pe Jata hai ;
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Bade
oonche mahal the jo , milein hain dhool me pal me ..
Ye darpan
waqt ka bhi aks , kab kaisa banata hai ;
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Bichhaye
laakh kaante wo , khile to gul hamesha hi...
Meri is
saaf neeyat se , adu bhi khauf khata hai ;.
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Bura ho
jab samay thoda , zara sa dhairy to rakh lo ...
Yahi
pehchaan to apne , parayon ki karata hai ;
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Miley ham
khwaab me jabse , asar aisa hua tabse ..
Dilo ka
dard ab milkar , khushi se geet gata hai ;
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Girey sab
zard pattey gar , shazar phir se hara hoga ..
Purana
jaayega mausam , naya tab hi to aata hai
...!!
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...................................................................................'Taruna'..!!!
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