Monday, July 20, 2015

पुराना मौसम...!!!


हमेशा वो नहीं मिलता , जिसे तू मांग आता है ..
ख़ुदा का ही करिश्मा है, यहाँ तू जो भी पाता है ;
.
अकड़ के मत चलो धरती पे , दिन यूँ भी बदलते हैं....
हुआ करता था जो राजा , वो अब दर-दर पे जाता है ;
.
बड़े ऊंचे महल थे जो , मिले है धूल में पल में...
ये दर्पण वक़्त का भी अक्स ,कब कैसा बनाता है ;
.
बिछायें लाख कांटे वो , खिलें तो गुल हमेशा ही ...
मेरी इस  साफ़ नीयत से , अदू भी खौफ़ खाता है ;
(अदू-दुश्मन/enemy )
.
बुरा हो जब समय थोड़ा , ज़रा सा धैर्य तो रख लो....
यही पहचान तो अपने , परायों की कराता है ;
.
मिले हम ख्व़ाब में जबसे , असर ऐसा हुआ तबसे...
दिलों का दर्द अब मिलकर , ख़ुशी से गीत गाता है ;
.
गिरे सब ज़र्द पत्ते गर .... शज़र फिर से हरा होगा ..
पुराना जाएगा मौसम .. नया तब ही तो आता है ;
.
............................................................................'तरुणा'...!!!
.

Hamesha wo nahi milta , jisey tu maang aata hai ...
Khuda ka hi karishma hai , yahan tu jo bhi pata hai ;
.
Akad ke mat chalo dharti pe , din yun bhi badalte hain ..
Hua karta tha jo raja , wo ab dar-dar pe Jata hai ;
.
Bade oonche mahal the jo , milein hain dhool me pal me ..
Ye darpan waqt ka bhi aks , kab kaisa banata hai ;
.
Bichhaye laakh kaante wo , khile to gul hamesha hi...
Meri is saaf neeyat se , adu bhi khauf khata hai ;.
.
Bura ho jab samay thoda , zara sa dhairy to rakh lo ...
Yahi pehchaan to apne , parayon ki karata hai ;
.
Miley ham khwaab me jabse , asar aisa hua tabse ..
Dilo ka dard ab milkar , khushi se geet gata hai ;
.
Girey sab zard pattey gar , shazar phir se hara hoga ..
Purana jaayega mausam  , naya tab hi to aata hai ...!!
.


...................................................................................'Taruna'..!!!

No comments: