Thursday, July 9, 2015

सैर कर दुनिया की ... गाफ़िल ज़िन्दगानी फिर कहाँ .. !!!


आप जब ... इंसान हैं .... इंसान तो बनिये....
बांटिये ख़ुशियाँ सभी में .. और ख़ुश रहिये;
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क्या परखना दूसरों को ... और जलना क्यूँ...
साफ़ नीयत से हमेशा ...  काम सब करिये ;
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आज हैं आकाश पर .... तो क्या भरोसा कल..
अर्श से हों फ़र्श पर ...  मत यूँ .. अकड़ चलिये ;
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शब्द से मत खेलिये ... जुमलों से क्या हासिल...
छोड़ लफ्फाज़ी ... अजी कुछ .. काम तो करिये ;
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दम घुटा जाता है .... सबका बंद कमरों में....
खोलिए खिड़की दिलों की ... सैर तो करिये ;
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दूसरों के दोष दिखना ... हैं बहुत आसां....
आइना इक सामने .. अपने भी तो रखिये ;
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खूब भर तो ली  तिजोरी ... मालो-ज़र से अब...
नेकियों की .. कुछ तो दौलत .. पास में रखिये ;
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कीजिये सज़दा ख़ुदा को जाइए मंदिर...
हर किसी दरबार में पर ... यूँ नहीं झुकिए ..!!
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..........................................................................’तरुणा’....!!!
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Aap jab ....... insaan hain .....  insaan to baniye...
Baantiye ..khushiyan sabhi me .. aur khush rahiye ;
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Kya parakhna  dusron ko .... aur jalna  kyun ..
Saaf neeyat se hamesha .. kaam sab kariye ;
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Aaj hain aakaash par ... to kya bharosa kal ....
Arsh se hi farsh par ...  mat yun... akad chaliye ;
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Shabd se mat kheliye ... jumalon se kya haasil ...
Chhod laffaji .... ajee kuchh ... kaam to kariye  ;
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Dam ghuta jata hai ... sabka band kamaron me ...
Khodiye khidki dilon ki ..... sair  to kariye ;
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Dusron ke dosh dikhna ... hai bahut aasaan...
Aaina ik saamne ... apne bhi to rakhiye ;
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Khoob bhar to …. le tijori ... maal-o-zar se ab....
Nekiyon ki ... kuchh to daulat ... paas me rakhiye ;
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Keejiye ... sajda Khuda ko ... jaaiye mandir ...
Har kisi darbaar me par .... yun nahi ... jhukiye ...!!
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..............................................................................’Taruna’..!!!


















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