आप
जब ... इंसान हैं .... इंसान तो बनिये....
बांटिये
ख़ुशियाँ सभी में .. और ख़ुश रहिये;
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क्या
परखना दूसरों को ... और जलना क्यूँ...
साफ़
नीयत से हमेशा ... काम सब करिये ;
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आज
हैं आकाश पर .... तो क्या भरोसा कल..
अर्श
से हों फ़र्श पर ... मत यूँ .. अकड़ चलिये ;
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शब्द
से मत खेलिये ... जुमलों से क्या हासिल...
छोड़
लफ्फाज़ी ... अजी कुछ .. काम तो करिये ;
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दम
घुटा जाता है .... सबका बंद कमरों में....
खोलिए
खिड़की दिलों की ... सैर तो करिये ;
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दूसरों
के दोष दिखना ... हैं बहुत आसां....
आइना
इक सामने .. अपने भी तो रखिये ;
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खूब
भर तो ली तिजोरी ... मालो-ज़र से अब...
नेकियों
की .. कुछ तो दौलत .. पास में रखिये ;
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कीजिये
… सज़दा ख़ुदा को … जाइए मंदिर...
हर
किसी दरबार में पर ... यूँ नहीं झुकिए ..!!
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..........................................................................’तरुणा’....!!!
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Aap jab
....... insaan hain ..... insaan to
baniye...
Baantiye
..khushiyan sabhi me .. aur khush rahiye ;
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Kya
parakhna dusron ko .... aur jalna kyun ..
Saaf
neeyat se hamesha .. kaam sab kariye ;
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Aaj hain
aakaash par ... to kya bharosa kal ....
Arsh se
hi farsh par ... mat yun... akad chaliye ;
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Shabd se
mat kheliye ... jumalon se kya haasil ...
Chhod
laffaji .... ajee kuchh ... kaam to kariye
;
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Dam ghuta
jata hai ... sabka band kamaron me ...
Khodiye
khidki dilon ki ..... sair to kariye ;
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Dusron ke
dosh dikhna ... hai bahut aasaan...
Aaina ik
saamne ... apne bhi to rakhiye ;
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Khoob
bhar to …. le tijori ... maal-o-zar se ab....
Nekiyon
ki ... kuchh to daulat ... paas me rakhiye ;
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Keejiye
... sajda Khuda ko ... jaaiye mandir ...
Har kisi
darbaar me par .... yun nahi ... jhukiye ...!!
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..............................................................................’Taruna’..!!!
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