दिल करता है मुहब्बत .... कोई वहशत नहीं करता...
उसको पहचानने में ..... कभी गफ़लत नहीं करता ;
दिल की खिड़कियां खोल .... झांक लेता है वो....
दरवाज़ा खटखटाने की .. भी ज़हमत नहीं करता ;
सदियों तक मैं बैठी रहूं
.... इंतज़ार में उसके...
इस हद तक तो मुझसे ... वो मुहब्बत नहीं करता ;
मुहब्बत दोगुनी होती है... मुहब्बत बांटने भर से...
नफ़रत फैलाने पर ... कोई इज्ज़त नहीं करता ;
लगता है साफ़गोई का ... ज़माना नहीं रहा...
दिल साफ़ हो जिनका... कोई सोहबत नहीं करता..!!
.................................................................'तरुणा'... !!!
Dil karta
hai muhabbat .. koi vehshat nahi karta..
Usko
pehchaan'ne me .. kabhi gaflat nahi karta ;
Dil ki
khidkiyaan khol .... jhaank leta hai wo
...
Darwaza
khatkhatane ki .. bhi zehmat nahi karta ;
Sadiyon
tak main baithi rahun ... intzaar me uske...
Is had
tak to mujhse... wo muhabbat nahi karta ;
Muhabbat
doguni hoti hai ... muhabbat baantne bhar se..
Nafrat
failaane par ....... koi izzat nahi karta
;
Lagta hai
saafgoi ka ... zamaana nahi raha ...
Dil saaf
ho jinka .... koi sohbat nahi karta ...!!
..........................................................................'Taruna'...!!!
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