दो कदम का फ़ासला .. मीलों का सफ़र हो गया...
पंछी सारे उड़ गए .... और ठूठ शज़र हो गया ;
इक उसकी निग़ाह से .. मुझपे हुआ है वो असर...
एक ही लम्हे में पूरा .... जीवन गुज़र हो गया ;
उससे ही वाबस्ता हैं .. यकीनन मेरी हर राह भी...
हादसा-ए-ज़िंदगी .. अब खुशी की नज़र हो गया ;
अपनी नादानी से आग .. ख़ुद लगा बैठे हैं हम....
हंसता खिलता आशियां.... वीरां सा घर हो गया ;
मौक़ा पाते ही अब .. चूना लगा देते हैं लोग...
ऐ ख़ुदा ! ..बंदा तेरा .. क्यूं इतना ज़बर हो गया ;
देख के फ़ितरत सभी की... बात अब करते हैं हम...
वक़्त की चोटों का ये.... 'तरु' पे असर हो गया ...!!
...............................................................'तरुणा'... !!!
Do kadam ka faasla... meelon ka safar ho gaya..
Panchhi saare ud gaye.. aur thooth shazar ho gaya ;
Ik uski nigaah se .... mujhpe hua hai vo asar ...
Ek hi lamhe me poora .. jeewan gujar ho gaya ;
Ussey hi vabasta hai .... yakeenan meri har raah bhi ..
Haadsa-e-zindgi .... ab khushi ki nazar ho gaya ;
Apni nadani se aag ... khud laga baithe hain ham...
Hansta khilta aashiyaan .... veeraan sa ghar ho gaya ;
Mauqa paate hi ab ... choona laga dete hain log...
Ai Khuda ! ..banda tera... kyun itna zabar ho gaya ;
Dekh ke fitrat sabhi ki ... baat ab karte hain ham...
Waqt ki choton ka ye ... 'Taru' pe asar ho gaya ...!!
.................................................................................'Taruna'...!!!
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