Tuesday, July 29, 2014

ये ईद.... !!!



पुरनूर सुबह ले कर....मुस्काती हैं ये ईद...
पैग़ाम मोहब्बत का...फैलाती है ये ईद...

सेवइयां मीठी सी.... और शीर की वो खुश्बू....
बचपन की तरह अब भी...ललचाती है ये ईद..

दीदार हो दिलबर का...या आरज़ू मिलने की....
छत चाँद के बहाने से  ... आ जाती है ये ईद...

गलियों में महकती थी..घर-घर में चहकती थी..
अब सत्ता के दर पर ...  रह जाती है ये ईद...

तोहफ़े तो बन गए हैं... बाज़ार की रौनक अब...
महंगाई में मुफ़लिस को... तरसाती है ये ईद...

वो दौर भी देखा है... सांझे थे सब त्यौहार...
दौहराव उसी को फ़िर...सिखलाती है ये ईद...

...........................................................'तरुणा'...!!!

Purnoor subah le kar...muskaati hai ye Eid...
Paigaam Mohabbat ka... failaati hai ye Id....

Sevaiya mithi si ... aur Sheer ki vo khushboo...
Bachpan ki tarah ab bhi.. lalchaati hai ye Eid...

Deedaar ho dilbar ka...ya aarzoo milne ki...
Chhat chaand ke bahaane... aa jaati hai ye Eid..

Galiyon me mahakti thi..ghar-ghar me chahkti thi...
Ab satta ke dar par ....  rah jaati hai ye Eid....

Tauhfe to ban gaye hain...baazaar ki raunaq ab...
Menhgaayi me muflis ko..  tarsaati hai ye Eid...

Vo daur bhi dekha hai... saanjhe the sab tyauhaar..
Dauhraav usee ko phir.. sikhlaati hai ye Eid....

......................................................................'Taruna'.. !!!




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