Wednesday, May 25, 2016

तोल लेता है...!!


जिधर का रुख वो करता है सफ़र को तोल लेता है ..
कहाँ ठहरें कहाँ दम लें डगर को तोल लेता है ;
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जिसे चिंतन की आदत है सभी के भेद पहचाने ..
उचटती सी नज़र में हर  बशर को तोल लेता है ;
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उसी मालिक ने बख्शा है परिंदे को हुनर ऐसा..
नशेमन के लिए शाख़े शज़र को तोल लेता है ;
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परख लेता है वो इक़दाम अपने दुश्मनों के सब..
मुख़ालिफ सम्त वालों के जिगर को तोल लेता है ;
(इक़दाम- क़दम उठाना)
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इसी खदशे से मैं उससे निग़ाहें फेर लेती हूँ ....
मिलाते ही नज़र ज़ालिम नज़र को तोल लेता है ;
(खदशे-डर)
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इधर मतला पढ़ा तरुणासमझ लेता है मक्ते तक ..
ग़ज़ल में डूब कर मेरी असर को तोल लेता है ..!!
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......................................................................'तरुणा'...!!!



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