Friday, May 27, 2016

सियाह ज़िंदगानी....!!!


आज खुद को तबाह कर लेंगे...
ज़िंदगानी सियाह कर लेंगे ;
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तुम न मिल पाए तो गिला क्या है...
याद ही से निबाह कर लेंगे ;
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खोल कर सारे बन्द दरवाज़े...
आपके दिल में राह कर लेंगे ;
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कब ये मालूम था हसीं चेहरे...
सब दिलो को सियाह कर लेंगे ;
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ज़िन्दगी भर अगर नहीं मिलते..
हम तो यूँ भी निबाह कर लेंगे ;
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सारी दुनिया से फेर कर नज़रें...
उनकी जानिब निगाह कर लेंगे ;
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गर मुहब्बत गुनाह है 'तरुणा'...
एक ये भी गुनाह कर लेंगे... !!
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….........................'तरुणा'...!!!


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