Sunday, January 10, 2016

इश्क़ का हादसा ..!!!



हाय क्यूँ  ऐसा हादसा न हुआ ..
इश्क़ का कोई भी सिला न हुआ ;
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मुन्तज़िर थी खुलेंगे लब उनके..
उनसे लेकिन ये फ़ैसला न हुआ..
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साथ तुम हो लिए ज़माने के..
तुम को रोकूँ ये हौसला न हुआ ;
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दूध पी के भी डस रहा है वो...
नाग पल कर भी देवता न हुआ ;
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रात दिन दिल मेरा सुलगता है ..
फिर भी मुझ से कभी गिला न हुआ ;
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जाने वो और का हुआ कैसे ..
साथ रहकर भी जो मेरा न हुआ ;
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बख्शती गर नहीं तो क्या करती...
उसके जैसा तो दूसरा न हुआ ;
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उससे बिछड़ी हूँ इस तरह 'तरुणा' ...
मेरा खुद से ही राब्ता न हुआ ...!!
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.....................................'तरुणा'...!!!

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Haay kyun aisa haadsa na  hua ..
Ishq ka koi bhi sila na hua ;
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Muntzir thi khulenge lab unke...
Unse lekin ye faisla na hua ;
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Saath tum ho liye zamane ke..
Tum ko rokun ye hausla na hua ;
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Doodh pee ke bhi das raha hai wo...
Naag pal kar bhi devta na hua ;
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Raat-din dil mera sulagta hai...
Phir bhi mujh se kabhi gila na hua ;
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Jaane wo aur ka hua kaisa...
Saath rahkar bhi jo mera na hua ;
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Bakhshti gar nahi to kya karti...
Uske jaisa to dusra na hua ;
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Ussey bichhadi hun is tarah 'Taruna'...
Mera khud se hi raabta na hua ....!!
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.......................................................'Taruna'...!!!









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