हाय
क्यूँ ऐसा हादसा न हुआ ..
इश्क़
का कोई भी सिला न हुआ ;
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मुन्तज़िर
थी खुलेंगे लब उनके..
उनसे
लेकिन ये फ़ैसला न हुआ..
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साथ
तुम हो लिए ज़माने के..
तुम
को रोकूँ ये हौसला न हुआ ;
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दूध
पी के भी डस रहा है वो...
नाग
पल कर भी देवता न हुआ ;
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रात
दिन दिल मेरा सुलगता है ..
फिर
भी मुझ से कभी गिला न हुआ ;
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जाने
वो और का हुआ कैसे ..
साथ
रहकर भी जो मेरा न हुआ ;
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बख्शती
गर नहीं तो क्या करती...
उसके
जैसा तो दूसरा न हुआ ;
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उससे
बिछड़ी हूँ इस तरह 'तरुणा' ...
मेरा
खुद से ही राब्ता न हुआ ...!!
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.....................................'तरुणा'...!!!
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Haay kyun aisa haadsa na hua
..
Ishq ka koi bhi sila na hua ;
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Muntzir thi khulenge lab unke...
Unse lekin ye faisla na hua ;
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Saath tum ho liye zamane ke..
Tum ko rokun ye hausla na hua ;
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Doodh pee ke bhi das raha hai wo...
Naag pal kar bhi devta na hua ;
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Raat-din dil mera sulagta hai...
Phir bhi mujh se kabhi gila na hua ;
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Jaane wo aur ka hua kaisa...
Saath rahkar bhi jo mera na hua ;
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Bakhshti gar nahi to kya karti...
Uske jaisa to dusra na hua ;
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Ussey bichhadi hun is tarah 'Taruna'...
Mera khud se hi raabta na hua ....!!
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.......................................................'Taruna'...!!!
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