मुझको
दुनिया की निग़ाहों में मोतबर कर दे..
ज़िन्दगानी
ने हराया है मुजफ्फ़र कर दे ;
(मोतबर-विश्वसनीय.. मुजफ्फ़र-विजेता)
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दुख
न पहुंचे मेरे लफ़्ज़ों से किसी को भी कभी ...
मेरे
चुभते हुए लहज़े को बेअसर कर दे ;
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हाथ
जब जब भी उठाऊँ तेरे दर पर यारब..
मेरी
बेलौस दुआओं को पुरअसर कर दे ;
(बेलौस-निस्वार्थ/selfless)
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मुझको
दौलत की तमन्ना है न शोहरत की हवस ..
बस
फ़क़त प्यार की बारिश में मुझे तर कर दे ;
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हर
क़दम पर नई मुश्किल कोई आ जाती है...
अब
तो आसां मेरे जीवन का ये सफ़र कर दे ;
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जिसमे
साया भी,
समर
भी हो 'तरु' रख ऐसा ..
घोंसला
जिसपे हो पंछी का वो शज़र कर दे ...!!
(समर-फल/fruit)
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.............................................................'तरुणा'...!!!
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Mujhko duniya ki nigaahon me motbar kar de...
Zindgaani ne haraya hai mujaffar kar de ;
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Dukh na pahunche mere lafzon se kisi ko bhi kabhi ..
Mere chubhte huye lahje ko beasar kar de ;
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Haath jab jab bhi uthaaun tere dar par yaarab..
Meri belaus duaaon ko purasar kar de ;
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Mujhko daulat ki tamnna hai na shohrat ki hawas..
Bas fakat pyaar ki baarish me mujhe tar kar de ;
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Har kadam par nayi mushkil koi aa jaati hai...
Ab to aasaAn mere jeewan ka ye safar kar de ;
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Jisme saya bhi , samar bhi ho 'Taru' rakh aisa..
Ghonsla jispe ho panchhi ka wo shazar kar de..!!
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................................................................'Taruna'...!!!
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