किसी
दुश्मन के दिल को भी .. दुखाना भूल जाती हूँ..
ये
तीरे-लफ्ज़ .. अक्सर मैं ... चलाना भूल जाती हूँ ;
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सबक़
दोहराती हूँ हर दिन ... बड़ी पाबंदियों से मैं...
भुला
दूंगी मैं कल उसको .... भुलाना भूल जाती हूँ ;
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कशिश
ऐसी है कुछ तौबा ... के चाहते न हुए भी मैं..
निग़ाहें
उसके चेहरे से ..... हटाना भूल जाती हूँ ;
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गुज़रना
उस गली से मत ... कहा हर एक ने मुझसे...
ये
बाते याद पर ख़ुद को ... दिलाना भूल जाती हूँ ;
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नहीं
मुझसा कोई कायल है ... उस बेदर्द का यूँ भी..
कभी
पूछे जो हाले-दिल ... सुनाना भूल जाती हूँ ;
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बताऊँ
क्या के हूँ घायल मैं .. कितना उसकी नज़रों से...
दिले-
बेताब पे मरहम ... लगाना भूल जाती हूँ... !!
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...........................................................................'तरुणा'.....!!!
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Kisi
dushman ke dil ko bhi ... dukhana bhool jaati hun..
Ye
teer-e-lafz..aksar main .. chalana bhool jaati hun ;
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Sabaq
dohraati hun har din .. badi paabandiyon se main..
Bhula
dungi main kal usko ... bhulana bhool jaati hun ;
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Kashish
aisi hai kuchh tauba .. ke chaahte na huye bhi main..
Nigaahein
uske chehre se ... hataana bhool jaati hun ;
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Guzarna
us gali se mat ... kaha har ek ne mujhse ..
Ye baate
yaad par khud ko .. dilana bhool jaati hun ;
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Nahi
mujhsa koi qaayal hai .. us bedard ka yun bhi ..
Kabhi
poochhe jo haale-dil ... sunana bhool jaai hun ;
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Bataaun
kya ke hun ghayal .. kitna uski nazron se ..
Dil-e-betaab
par marham .. lagana bhool jaati hun..!!
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.......................................................................................'Taruna'..!!!
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