Wednesday, January 7, 2015

हर बार .. भूल जाती हूँ... !!!



किसी दुश्मन के दिल को भी .. दुखाना भूल जाती हूँ..
ये तीरे-लफ्ज़ .. अक्सर मैं ... चलाना भूल जाती हूँ ;
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सबक़ दोहराती हूँ हर दिन ... बड़ी पाबंदियों से मैं...
भुला दूंगी मैं कल उसको .... भुलाना भूल जाती हूँ ;
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कशिश ऐसी है कुछ तौबा ... के चाहते न हुए भी मैं..
निग़ाहें उसके चेहरे से ..... हटाना भूल जाती हूँ ;
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गुज़रना उस गली से मत ... कहा हर एक ने मुझसे...
ये बाते याद पर ख़ुद को ... दिलाना भूल जाती हूँ ;
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नहीं मुझसा कोई कायल है ... उस बेदर्द का यूँ भी..
कभी पूछे जो हाले-दिल ... सुनाना भूल जाती हूँ ;
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बताऊँ क्या के हूँ घायल मैं .. कितना उसकी नज़रों से...
दिले- बेताब पे मरहम ... लगाना भूल जाती हूँ... !!
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...........................................................................'तरुणा'.....!!!

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Kisi dushman ke dil ko bhi ... dukhana bhool jaati hun..
Ye teer-e-lafz..aksar main .. chalana bhool jaati hun ;
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Sabaq dohraati hun har din .. badi paabandiyon se main..
Bhula dungi main kal usko ... bhulana bhool jaati hun ;
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Kashish aisi hai kuchh tauba .. ke chaahte na huye bhi main..
Nigaahein uske chehre se ... hataana bhool jaati hun ;
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Guzarna us gali se mat ... kaha har ek ne mujhse ..
Ye baate yaad par khud ko .. dilana bhool jaati hun ;
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Nahi mujhsa koi qaayal hai .. us bedard ka yun bhi ..
Kabhi poochhe jo haale-dil ... sunana bhool jaai hun ;
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Bataaun kya ke hun ghayal .. kitna uski nazron se ..
Dil-e-betaab par marham .. lagana bhool jaati hun..!!
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.......................................................................................'Taruna'..!!!


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