Thursday, October 30, 2014

बयां न हुआ... !!!



कमज़ोर मेरे लफ्ज़ थे ... बयां हो नहीं पाया...
गहराई में छुपा क्या ... अयां हो नहीं पाया ;

(अयां-ज़ाहिर)

अच्छा हुआ रोक लिया... छलकने से वो आंसू..
पता चला न बात का... जुबां हो नही पाया ;

बीज़ तो बोया मैंने ....  मुहब्बत का जतन से...
बेमौत मर गया शज़र ... जवां हो नहीं पाया ;

दफ्न तो किया खुद को... बारहा अपने ही हाथों...
जलाया कितनी बार ही .. धुआं हो नहीं पाया ;

गुनगुनाया तो क़ैद में था .. इक प्यार भरा नग्मा...
दीवार से छन निकला .... निहां हो नहीं  पाया ;

(निहां-छुपा हुआ)

रौब काबिज़ रहा हमेशा .. उनके वज़ूद का मुझपर..
अपना समझने का उनको .... गुमां हो नहीं पाया ;

दास्ताने-हयात में 'तरु' ... मुश्किलात थी कितनी..
बस प्यार के सहारे सफ़र ... गिरां हो नहीं पाया ..!!

(गिरां-मुश्किल)

.........................................................................'तरुणा'...!!!


Kamzor mere lafz the ..... bayan ho nahi paya..
Gehraayi me chhupa kya... ayaan ho nahi paya ;

(ayaan-evident)

Achha hua rok liya ... chhlakne se wo aansoon..
Pata chala na baat ka ... zubaan  ho nahi paya ;

Beej to boya maine ... muhabbat ka jatan se ....
Bemaut mar gaya shazar .. jawaan ho nhi paya ;

Dafn to kiya khud ko ... baarha apne hi haathon ...
Jalaya kitni baar hi .... dhuaan ho nahi paya ;

Gungunaya to qaid me tha ... ik pyaar bhara nagma..
Deewar se chhan nikla ... nihaan ho nahi paya ;

(nihaan-hidden)

Raub kaabiz raha hamesha .. unke wajood ka mujhpar ..
Apna samjhne ka unko .... gumaan ho nahi paya ;

Daastaane-hayat me 'Taru' .... mushqilaat thi kitni ...
Bas pyaar ke sahare safar .... giraan ho nahi paya ..!!

(giraan-difficult)

.................................................................................'Taruna'...!!!

No comments: