कुछ
तो उन्हें जाना है .... पास आई हूँ जब से....
सुहबत
में मुहब्बत मुझे... हो गई है अदब से ;
(अदब--साहित्य)
यूँ
तो शमा की तरहा ... जली हूँ मैं रात भर...
कुछ
रोशनी तो फैली ... सुबहा हो गई कब से ;
क्यूँ
भटकते फिरते हो .... दिनभर ..इधर-उधर...
क्या
हादसा हो जाएगा ..रहोगे घर जो..अब से ;
माना
मैं भिखारी हूँ ... हो तुम भी तो सायल....
फ़र्क
ये है के मैं माँगती हूँ ... एक ही रब से ;
(सायल--भिखारी)
पीता
तो हर कोई है ..... इस मयकदे में आकर...
मयकश
को जानते हैं सब .. पीने के ही ढब से ;
(ढब-तरीका)
नज़दीक
से देखा तो .. अज़नबी था हर इक शख्स..
ये
सोच लिया है के अब... दूर रहेंगे हम सब से
;
ख़ुद
पे ही प्यार रोज़ ... उमड़ता है बार-बार...
जबसे
जुदा हुए हैं ...... ज़माने में हम सब से .... !!
.......................................................................'तरुणा'...!!!
Kuchh to
unhe jana hai ... paas aayi hun jab
se...
Suhabat
me muhabbat mujhe.. ho gai hai adab se ;
(adab--literature)
Yun to
shama ki tarha hi ... jali hun main raat bhar...
Kuchh
roshni to faili .... subaha huyi hai kab
se ;
Kyun
bhatakte firte ho ... din bhar idhar-udhar...
Kya
haadsa ho jaayega .. rahoge ghar jo..ab se ;
Mana main
bhikhari hun ... ho tum bhi to saayal..
Farq ye
hai ke main mangti hun .. ek hi Rab se ;
(saayal--beggar)
Peeta to
har koi hai .... iss maykade me aakar....
Maykash
ko jaante hai sab.... peene ke hi dhab se ;
(dhab--manner)
Nazdeeq
se dekha to to ... aznabee tha har ik shakhs...
Ye soch
liya hai ke ab.... door rahenge ham sab se ;
Khud pe
hi pyaar roz .... umadta hai baar-baar....
Jabse
juda huye hain... zamane me ham sab se ...!!
..................................................................................'Taruna'....
!!!
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