Saturday, October 18, 2014

पीने का ढब....!!!




कुछ तो उन्हें जाना है .... पास आई हूँ जब से....
सुहबत में मुहब्बत मुझे... हो गई है अदब से ;
(अदब--साहित्य)

यूँ तो शमा की तरहा ... जली हूँ मैं रात भर...
कुछ रोशनी तो फैली ... सुबहा हो गई कब से ;

क्यूँ भटकते फिरते हो .... दिनभर ..इधर-उधर...
क्या हादसा हो जाएगा ..रहोगे घर जो..अब से ;

माना मैं भिखारी हूँ ... हो तुम भी तो सायल....
फ़र्क ये है के मैं माँगती हूँ ... एक ही रब से ;
(सायल--भिखारी)

पीता तो हर कोई है ..... इस मयकदे में आकर...
मयकश को जानते हैं सब .. पीने के ही ढब से ;
(ढब-तरीका)

नज़दीक से देखा तो .. अज़नबी था हर इक शख्स..
ये सोच लिया है के अब...  दूर रहेंगे हम सब से ;

ख़ुद पे ही प्यार रोज़  ... उमड़ता है बार-बार...
जबसे जुदा हुए हैं ...... ज़माने में हम सब से .... !!


.......................................................................'तरुणा'...!!!


Kuchh to unhe jana hai  ... paas aayi hun jab se...
Suhabat me muhabbat mujhe.. ho gai hai adab se ;
(adab--literature)

Yun to shama ki tarha hi ... jali hun main raat bhar...
Kuchh roshni to faili  .... subaha huyi hai kab se ;

Kyun bhatakte firte ho ... din bhar idhar-udhar...
Kya haadsa ho jaayega .. rahoge ghar jo..ab se ;

Mana main bhikhari hun ... ho tum bhi to saayal..
Farq ye hai ke main mangti hun .. ek hi Rab se ;
(saayal--beggar)

Peeta to har koi hai .... iss maykade me aakar....
Maykash ko jaante hai sab.... peene ke hi dhab se ;
(dhab--manner)

Nazdeeq se dekha to to ... aznabee tha har ik shakhs...
Ye soch liya hai ke ab.... door rahenge ham sab se ;

Khud pe hi pyaar roz .... umadta hai baar-baar....
Jabse juda huye hain... zamane me ham sab se ...!!



..................................................................................'Taruna'.... !!!

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