कमज़ोर मेरे लफ्ज़ थे ...
बयां हो नहीं पाया...
गहराई
में छुपा क्या ... अयां हो नहीं पाया ;
(अयां-ज़ाहिर)
अच्छा
हुआ रोक लिया... छलकने से वो आंसू..
पता चला
न बात का... जुबां हो नही पाया ;
बीज़ तो
बोया मैंने .... मुहब्बत का जतन से...
बेमौत मर
गया शज़र ... जवां हो नहीं पाया ;
दफ्न तो
किया खुद को... बारहा अपने ही हाथों...
जलाया
कितनी बार ही .. धुआं हो नहीं पाया ;
गुनगुनाया
तो क़ैद में था .. इक प्यार भरा नग्मा...
दीवार से
छन निकला .... निहां हो नहीं पाया ;
(निहां-छुपा हुआ)
रौब काबिज़
रहा हमेशा .. उनके वज़ूद का मुझपर..
अपना
समझने का उनको .... गुमां हो नहीं पाया ;
दास्ताने-हयात
में 'तरु' ... मुश्किलात
थी कितनी..
बस प्यार
के सहारे सफ़र ... गिरां हो नहीं पाया ..!!
(गिरां-मुश्किल)
.........................................................................'तरुणा'...!!!
Kamzor mere lafz the ..... bayan ho nahi paya..
Gehraayi me chhupa kya... ayaan ho nahi paya ;
(ayaan-evident)
Achha hua rok liya ... chhlakne se wo aansoon..
Pata chala na baat ka ... zubaan ho nahi paya ;
Beej to boya maine ... muhabbat ka jatan se ....
Bemaut mar gaya shazar .. jawaan ho nhi paya ;
Dafn to kiya khud ko ... baarha apne hi haathon ...
Jalaya kitni baar hi .... dhuaan ho nahi paya ;
Gungunaya to qaid me tha ... ik pyaar bhara nagma..
Deewar se chhan nikla ... nihaan ho nahi paya ;
(nihaan-hidden)
Raub kaabiz raha hamesha .. unke wajood ka mujhpar ..
Apna samjhne ka unko .... gumaan ho nahi paya ;
Daastaane-hayat me 'Taru' .... mushqilaat thi kitni ...
Bas pyaar ke sahare safar .... giraan ho nahi paya ..!!
(giraan-difficult)
.................................................................................'Taruna'...!!!