चलो फिर आज.. ज़िंदगी के पन्ने .. पलटते हैं...
चंद लम्हों में ही ... बरसों का सफ़र करते हैं ;
क्या खोया ..क्या पाया... ये हिसाब भी करेंगे लेकिन..
पहले देखे के ..... इन ठोकरों से... कैसे संभलते हैं ;
एक राह में भी ... जुदा-जुदा चलें हैं हम बरसों...
चलो अब तो .... एक मंज़िल पे जाके निकलते हैं ;
कुछ ख्व़ाब पूरे हुए मेरे .... तो हुए कुछ तुम्हारे भी...
क्या अब भी कोई एक ख्व़ाब.. साथ में देख सकते हैं ?
उम्र का था वो दौर के ..... रह सकते थे अकेले भी ...
'तरु' चलो इस पड़ाव में तो... इक-दूसरे में ढलते हैं .. !!
.................................................................'तरुणा'....!!!
Chalo phir aaj .. zindgi ke panne palat'tey hain...
Chand lamho me hi .... barson ka safar kartey hain ;
Kya khoya..kya paya... ye hisaab bhi karenge lekin..
Pahle dekhe ki.. in thokro se ... kaise sambhaltey hain ;
Ek raah me bhi .. juda-juda chaley hain ham barson...
Chalo ab to ...... ek manzil pe jaake nikaltey hain ;
Kuchh khwaab poore huye mere ... to huye kuchh tumhare bhi...
kya ab bhi koi ek khwaab ... saath me dekh saktey hain ?
Umar ka wo daur tha ke ...... rah saktey the akele bhi ...
'Taru' chalo is padaav me to .... ek-dusre me dhaltey hain..!!
...........................................................................................'Taruna'...!!!
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