जी तो चाहे था न उठे.... कभी उस महफ़िल से...
चाहता वो भी यही था... दिल में जानते थे हम..
हम तो बढ़ते गए..ये सोच के.. वो रोक ही लेगा ..
आज तो...हाथ पकड़ के ... मुझको..
वो समझता रहा... हम सुन लेंगे...
दिल की आवाज़...
कुछ अना उसकी... कुछ गुमान हमारा... खुद पर...
हम उठ आए.. .. पलटे भी नहीं....
वो भी करता ही रहा... इंतजार हमारा....
चाहते दोनों थे.. वही बात... कि जुदा न हो हम....
बात रह गई..... इस बात में...
कि ... पहल कौन करे ..???
...........................................'तरुणा'...!!!
Jee to chaahe tha na uthey ... kabhi us mehfil se..
Chaahta wo bhi yahi tha... dil me jaante the ham...
Ham to badhte gaye.. ye soch ke.. wo rok hi lega ..
Aaj to ....Haath pakad ke... mujhko...
Wo samjhta raha .... ham sun lenge...
Dil ki aawaz.....
Kuchh ana uski... kuchh gumaan hamara.. khud par..
Ham uth aaye.... palte bhi nahi...
Wo bhi karta hi raha... intzaar hamara..
Chaahte dono the .. vahi baat... ki juda na ho ham..
Baat rah gayi... is baat me...
Ki.. pahal kaun karey .. ???
................................................................'Taruna'... !!!