Friday, June 17, 2016

हादसा ...!!!


हाय क्यूँ  ऐसा हादसा न हुआ ..
मेरा हमदम जो बावफ़ा न हुआ ;
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मुन्तज़िर थी खुलेंगे लब उनके..
उनसे लेकिन ये फ़ैसला न हुआ..
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साथ तुम हो लिए ज़माने के..
तुम को रोकूँ ये हौसला न हुआ ;
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दूध पी के भी डस रहा है वो...
नाग पल कर भी देवता न हुआ ;
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रात दिन दिल मेरा सुलगता है ..
फिर भी तुझसे कभी गिला न हुआ ;
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जाने वो और का हुआ कैसे ..
साथ रहकर भी जो मेरा न हुआ ;
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बख्शती गर नहीं तो क्या करती...
उसके जैसा तो दूसरा न हुआ ;
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उससे बिछड़ी हूँ इस तरह 'तरुणा' ...
मेरा खुद से ही राब्ता न हुआ ...!!
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.....................................'तरुणा'...!!!







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