आप जब जब क़रीब होते हैं ...
लोग कितने रक़ीब होते हैं ;
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ज़ह्र देते है जो दवा कहकर..
कैसे कैसे तबीब होते हैं ;
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जिनको शाही सलाम करती है…
अस्ल में वो अदीब होते हैं ;
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उम्र भर पूजते हैं इक बुत को…
इश्क़ वाले अजीब होते हैं ;
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डालते हो निगाह जिन पर तुम…
हाँ वही ख़ुशनसीब होते हैं ;
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प्यार दिल में न जिनके बाक़ी हो…
वो ही सबसे ग़रीब होते हैं ;
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पास जिस पल नहीं हैं वो ‘तरुणा’..
पल वही बदनसीब होते हैं...!!
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........................................'तरुणा'..!!!
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